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    Mahesh Navami 2025: भगवान शिव की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, पूरी होगी मनचाही मुराद

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 03 Jun 2025 10:30 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी (Mahesh Navami 2025) तिथि पर शुभ और शुक्ल योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा एवं जलाभिषेक करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही घर में सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

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    Mahesh Navami 2025: भगवान शिव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, बुधवार 04 जून को महेश नवमी है। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अगर आप भी देवों के देव महादेव की कृपा पाना चाहते हैं, तो महेश नवमी के दिन भक्ति भाव से भगवान शिव की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

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    1. सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।

    उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥

    परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।

    सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥

    वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।

    हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥

    एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।

    2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

    3. नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।।

    4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

    5. ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

    शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

    शिव बिल्वाष्टकम्

    त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधं।

    त्रिजन्म पापसंहारम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।

    त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्चिद्रैः कोमलैः शुभैः।

    तवपूजां करिष्यामि ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।

    कोटि कन्या महादानं तिलपर्वत कोटयः।

    काञ्चनं क्षीलदानेन ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।

    काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनं।

    प्रयागे माधवं दृष्ट्वा ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।

    इन्दुवारे व्रतं स्थित्वा निराहारो महेश्वराः।

    नक्तं हौष्यामि देवेश ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।

    रामलिङ्ग प्रतिष्ठा च वैवाहिक कृतं तधा।

    तटाकानिच सन्धानम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।

    अखण्ड बिल्वपत्रं च आयुतं शिवपूजनं।।

    कृतं नाम सहस्रेण ऐकबिल्वं शिवार्पणं।

    उमया सहदेवेश नन्दि वाहनमेव च।।

    भस्मलेपन सर्वाङ्गम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।

    सालग्रामेषु विप्राणां तटाकं दशकूपयो:।

    यज्नकोटि सहस्रस्च ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।

    दन्ति कोटि सहस्रेषु अश्वमेध शतक्रतौ।

    कोटिकन्या महादानम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।

    बिल्वाणां दर्शनं पुण्यं स्पर्शनं पापनाशनं।

    अघोर पापसंहारम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।

    सहस्रवेद पाटेषु ब्रह्मस्तापन मुच्यते।

    अनेकव्रत कोटीनाम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।

    अन्नदान सहस्रेषु सहस्रोप नयनं तधा।

    अनेक जन्मपापानि ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।

    बिल्वस्तोत्रमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ।

    शिवलोकमवाप्नोति ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।

    शिव जी की आरती

    ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

    ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    एकानन चतुरानन पंचानन राजे।

    हंसासन गरूड़ासन, वृषवाहन साजे ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    दो भुज चार चतुर्भुज, दसभुज अति सोहे ।

    त्रिगुण रूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी ।

    चंदन मृगमद सोहै, भाले शशिधारी ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघम्बर अंगे।

    सनकादिक गरुणादिक, भूतादिक संगे ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    कर के मध्य कमंडल, चक्र त्रिशूलधारी।

    सुखकारी दुखहारी, जगपालन कारी॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका।

    प्रणवाक्षर में शोभित, ये तीनों एका ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    त्रिगुणस्वामी जी की आरति, जो कोइ नर गावे।

    कहत शिवानंद स्वाम, सुख संपति पावे ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।