Pradosh Vrat 2025: कब और कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति? पहनने से मिलते हैं कई चमत्कारी लाभ
त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025) किया जाता है और महादेव के संग मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही जीवन के दुख और संकटो को दूर करने के लिए दान भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति को जीवन में कई चमत्कारी लाभ देखने को मिलते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही जीवन के संकटों से छुटकारा पाने के लिए व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत (Pradosh Vrat 2025) को सच्चे मन से करने से व्यक्ति को मनचाहा करियर प्राप्त होता है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर होती हैं। इस दिन रुद्राक्ष पहनने का विशेष महत्व है। रुद्राक्ष (Rudraksha origin) का भगवान शिव से गहरा संबंध माना जाता है। रुद्राक्ष का वर्णन शिव पुराण और स्कंद पुराण में देखने को मिलता है।
जो व्यक्ति रुद्राक्ष को धारण और विशेष नियम का पालन करता है। इसे जीवन में किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति कब और कैसे हुई? अगर नहीं पता, तो आइए हम आपको बताएंगे इसके बारे में विस्तार से।
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इस तरह हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक त्रिपुरासुर नाम का असुर था। उसे अपनी शक्ति का अधिक घमंड था। उसने धरती लोक पर हाहाकार मचा रखा था। उसने देवताओं को परेशान किया था और कोई भी देवता उस असुर को हरा नहीं पा रहा था। ऐसे में सभी देवता परेशान हुए और उन्होंने त्रिपुरासुर से छुटकारा पाने के लिए महादेव की शरण में पहुंचे। इस दौरान भगवान शिव योग मुद्रा में तपस्या कर रहे थे।
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जब महादेव की तपस्या खत्म हुई, तो उनकी आंखों से धरती पर आंसू गिरे। मान्यता के अनुसार, जहां-जहां पर महादेव के आंसू गिरे, उसी जगह पर रुद्राक्ष के वृक्ष उगे। इसी वजह से इन वृक्षों के फल को रुद्राक्ष के नाम से जाना गया। इसके बाद महादेव ने त्रिपुरासुर का अंत किया। इसी प्रकार चिर काल में रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई।
रुद्राक्ष पहनने से मिलते हैं ये लाभ (Rudraksha benefits)
- जीवन में आध्यात्मिक विकास होता है।
- मन शांत रहता है।
- व्यक्ति पर हमेशा महादेव की कृपा बनी रहती है।
- सभी पापों से छुटकारा मिलता है।
- शारीरिक रोग दूर होते हैं।
- जीवन में डर समाप्त होते हैं।
कितने प्रकार के होते हैं रुद्राक्ष
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 14 प्रकार के रुद्राक्ष होते हैं,जिनका सभी का विशेष महत्व है। रुद्राक्ष को पहनने के लिए पूर्णिमा, सावन सोमवार और प्रदोष व्रत माना जाता है।
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