Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं? एक क्लिक में जानें सबकुछ
पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार महाशिवरात्रि 26 फरवरी (Mahashivratri Vart 2025 Date) को मनाई जाएगी। इस शुभ तिथि पर साधक भगवान शिव (Lord Shiv) और मां पार्वती की पूजा करते हैं। साथ ही महादेव की कृपा प्राप्ति के लिए विधिपूर्वक व्रत भी करते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahashivratri 2025: हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दिन शिव मंदिरों में बेहद खास रौनक देखने को मिलती है। साथ ही अधिक संख्या में भक्त महादेव के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि व्रत विधिपूर्वक करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है और शिव जी की कृपा हमेश बनी रहती है। पौराणिक कथा के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महादेव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए हर साल महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
यह भी पढ़ें: Maha Shivratri 2025: इस नियम से रखें महाशिवरात्रि का पावन व्रत, दूर हो जाएंगे सभी रोग और दोष
ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि व्रत के दौरान नियम का पालन न करने से व्रत टूट सकता है और महादेव नाराज हो सकते हैं। इसी वजह से व्रत के दौरान नियम का पालन करना अधिक जरूरी होता है। ऐसे में आइए जानते हैं महाशिवरात्रि व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं?
(Pic Credit-AI)
महाशिवरात्रि व्रत में क्या खाएं?
महाशिवरात्रि व्रत में फल, दूध, दही, मिठाई, सिंघाड़े का हलवा, साबूदाना की खिचड़ी और कुट्टू के आटे की पूरी का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा नारियल का पानी और समा चावल की खीर को भी व्रत थाली में शामिल किया जा सकता है।
महाशिवरात्रि व्रत में क्या न खाएं?
ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि व्रत के नियम का पालन न करने से जातक को जीवन में कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। महाशिवरात्रि व्रत में लहसुन, प्याज और मांस-मदिरा का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इसके अलावा अन्न और नमक के सेवन भी दूर रहना चाहिए। एक बात का खास ध्यान रखें कि इन चीजों का खाने से पहले महादेव को जरूर भोग लगाएं।
पूजा के दौरान करें इन मंत्रो का जप
- ऊँ शं शंकराय भवोद्भवाय शं ऊँ नमः
- नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं
- ऊँ शं भवोद्भवाय शं ऊँ नमः
- ऊँ शं विश्वरूपाय अनादि अनामय शं ऊँ
- ऊँ क्लीं क्लीं क्लीं वृषभारूढ़ाय वामांगे गौरी कृताय क्लीं क्लीं क्लीं ऊँ नमः शिवाय
- ऊँ शं शं शिवाय शं शं कुरु कुरु ऊँ
यह भी पढ़ें: Mahashivratri 2025: आखिर कैसे प्रकट हुई भगवान शिव की तीसरी आंख? पढ़ें इससे जुड़ी कथा
डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्सनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।