Mahashivratri 2025: आखिर कैसे प्रकट हुई भगवान शिव की तीसरी आंख? पढ़ें इससे जुड़ी कथा
पंचाग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025) का त्योहार बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है। क्या आप जानते हैं महादेव को तीसरा नेत्र कैसे मिला? अगर नहीं पता तो आइए जानते हैं इसकी वजह के बारे में।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lord Shiva Third Eye: सनातन शास्त्रों में महाशिवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व बताया गया है। इस शुभ तिथि पर साधक देवों के देव महादेव और मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मत है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं। साथ ही वैवाहिक जीवन हमेशा खुशहाल रहता है। भगवान शिव को कई नामों से जाना जाता है, जैसे- महादेव, भोलेनाथ, शंकर, आदिदेव, आशुतोष और त्रिनेत्रधारी आदि। महादेव को त्रिनेत्रधारी इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि उनके 3 आंखें हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि महादेव किस प्रकार त्रिनेत्रधारी बनें।
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इस तरह बनें महादेव त्रिनेत्रधारी
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ऐसा समय आया कि जब भगवान शिव हिमालय पर्वत पर सभा कर रहे थे। सभा के दौरान मां पार्वती ने महादेव के दोनों आंखों पर हाथ रख दिया, जिसकी वजह से सृष्टि पर अंधेरा छा गया और चारों तरफ हाहाकार मच गया। इस स्थिति को भगवान शिव से देखा नहीं गया।
ऐसे में उनके ललाट पर ज्योतिपुंज प्रकट हुआ। जो महादेव का तीसरा नेत्र बना, जिससे सृष्टि पर रोशनी हुई। इसके बाद मां पार्वती ने महादेव से तीसरी आंख के बारे में पूछा, तो शिव जी ने कहा कि उनके नेत्र जगत के पालनहार है। यदि वह तीसरा नेत्र प्रकट नहीं करते, तो सृष्टि का विनाश होना तय था।
भगवान शिव की तीसरी आंख को बेहद शक्तिशाली माना जाता है। प्रभु इस आंख के द्वारा भूत, भविष्य और वर्तमान को देख सकते हैं। इसी वजह से महादेव को तीसरी आंख को बेहद शक्तिशाली माना गया है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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