Maha Shivaratri 2025: महाशिवरात्रि पर 60 साल बाद बन रहा खास संयोग, एक क्लिक में जानें पूजा का सही समय
महाशिवरात्रि 26 फरवरी (Maha Shivratri 2025) को मनाई जाएगी जिसमें विशेष ग्रह योग जैसे त्रिग्रही योग और बुधादित्य योग बनेंगे। इस दिन सूर्य बुध और शनि के कुंभ राशि में होने से आध्यात्मिक उन्नति और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। पंडित राकेश झा के अनुसार शिव और पार्वती की पूजा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। चार प्रहर में उमा-महेश्वर की पूजा का महत्व है।

जागरण संवाददाता, पटना। शिव-शक्ति के मिलन का महापर्व शिवरात्रि (Maha Shivratri 2025) फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी में 26 फरवरी बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन श्रवण व धनिष्ठा नक्षत्र का युग्म संयोग, परिघ योग एवं शिव योग के विशेष संयोग के साथ मकर राशि के चन्द्रमा की उपस्थिति रहेगी।
महाशिवरात्रि पर वर्ष 1965 के बाद सूर्य, बुध व शनि ये तीनों ग्रह के कुंभ राशि में विद्यमान होने से त्रिग्रही योग का संयोग बन रहा है। सात साल बाद बुधवार के दिन का संयोग रहेगा।
करीब 31 वर्ष बाद महाशिवरात्रि पर बुधादित्य योग भी रहेगा। ग्रहों-गोचरों का यह संयोग आध्यात्मिक उन्नति और प्रतिष्ठा में वृद्धि प्रदान करेगा।
पंडित जी ने क्या बताया?
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन शुभ संयोग व शुभ मुहूर्त में भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा-आराधना करने से श्रद्धालुओं की मनोवांछित कामना की प्राप्ति होगी। महादेव की पूजा यथा श्रद्धा, यथा प्रहर, यथा स्थिति व यथा उपचार के अनुसार करना चाहिए।
चार प्रहर की साधना से जातक को धन, यश, प्रतिष्ठा और समृद्धि प्राप्त होती है। सूर्य व शनि पिता-पुत्र है और सूर्य शनि की राशि कुंभ में रहेंगे। इस प्रबल योग में भगवत साधना करने से आध्यात्मिक, धार्मिक उन्नति होती है I वही सूर्य-बुध के केंद्र त्रिकोण का योग पराक्रम व प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए सहायक सिद्ध होगा।
क्यों खास है महाशिवरात्रि का पर्व?
- महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव पृथ्वीलोक पर भ्रमण करने निकलते हैं। ऐसे में इस दिन पूजन से वर्ष भर के शिवरात्रि का पुण्य मिलता है।
- शिवरात्रि के दिन शिव का पूजन करने से श्रद्धालुओं को एक हजार अश्वमेघ यज्ञ तथा सैकड़ों वाजपेयी यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है।
- महाशिवरात्रि पर शनि के केंद्र में होने से त्रिग्रही योग बनने से शिव भक्तों को विशेष फल मिलेगा।
चार प्रहर में उमा-महेश्वर की होगी पूजा
महाशिवरात्रि पर शिव की कृपा पाने के लिए सूर्यास्त के बाद चारों प्रहर में उमा-महेश्वर की पूजा का विधान है।
पहले प्रहर में शाम 6:22 बजे से रात्रि 9:30 बजे तक दूध से, दूसरे प्रहर में रात्रि 9:31 बजे से मध्यरात्रि 12:39 बजे तक दही से, तीसरे प्रहर में मध्यरात्रि 12:40 बजे से 3:48 बजे तक घी से तथा चौथे व अंतिम प्रहर में देर रात 3:49 बजे से 27 फरवरी गुरुवार की सुबह 6:57 बजे तक शहद से अभिषेक व पूजन होगा।
इस दिन प्रदोष काल की पूजा शाम 5:48 बजे से रात्रि 8:26 बजे तक और निशीथ काल की पूजा मध्यरात्रि 12:09 बजे से 12:59 बजे तक होगा।
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