Mahabharat Katha: कैसे हुई अर्जुन की उलूपी और चित्रांगदा से शादी? रहस्यमयी है कथा
महाभारत (Mahabharat Katha) सिर्फ युद्ध की कहानी नहीं बल्कि प्रेम और त्याग की भी गाथा है। अर्जुन के उलूपी और चित्रांगदा से विवाह की कथाएं रहस्यमय हैं। उलूपी ने अर्जुन को मोहित करके नागलोक में विवाह किया। जबकि चित्रांगदा से विवाह के लिए अर्जुन ने खुद उनके पिता से हाथ मांगा था। आइए इस आर्टिकल में पूरी कथा के बारे में जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाभारत की गाथा सिर्फ युद्ध नहीं, बल्कि इसमें प्रेम, त्याग और रहस्य की कई ऐसी अनसुनी कहानियां छिपी हुईं हैं, जिसे जानकर आपको भी हैरानी होगी। इन्हीं में से एक है उलूपी और चित्रांगदा संग अर्जुन की विवाह कथा। उनकी ये शादी किसी रहस्य से कम नहीं हैं। ये विवाह न केवल अर्जुन के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ थे, बल्कि ये महाभारत कथा (Mahabharat Katha) के अहम पहलुओं में से भी एक थे, तो आइए इसके बारे में जानते हैं।
कैसे हुआ नागकन्या उलूपी संग विवाह?
अर्जुन अपने वनवास के दौरान घूमते हुए गंगा नदी के पास पहुंचे। वहां उनका सामना नागलोक की राजकुमारी उलूपी से हुआ। उलूपी अर्जुन के पराक्रम और रूप पर मोहित हो गईं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, उलूपी ने अर्जुन को मोहित करने के लिए अपनी दिव्य शक्तियों का प्रयोग किया और उन्हें नागलोक ले गईं। इसके बाद उन्होंने अर्जुन से विवाह करने की इच्छा जाहिर की। साथ ही उन्होंने इसके लिए कुछ हद तक बल का भी प्रयोग किया।
हालांकि, अर्जुन ने इस विवाह को स्वीकार किया और उनके पुत्र इरावत का जन्म हुआ। उलूपी ने अर्जुन को जल में अजेय होने का वरदान दिया, जो बाद में महाभारत युद्ध में उनके लिए बहुत मददगार साबित हुआ।
चित्रांगदा संग विवाह कथा
अर्जुन अपनी यात्रा जारी रखते हुए मणिपुर राज्य पहुंचे। वहां उन्होंने मणिपुर के राजा चित्रवाहन की पुत्री, राजकुमारी चित्रांगदा को देखा और उनके सौंदर्य पर मोहित हो गए। अर्जुन ने राजा चित्रवाहन से चित्रांगदा का हाथ मांगा। राजा चित्रवाहन ने एक शर्त रखी। उन्होंने बताया कि उनके वंश में केवल एक ही संतान जीवित रहती है, और वह भी पुरुष, क्योंकि चित्रांगदा उनकी इकलौती संतान थी, यानी उसके पुत्र को ही मणिपुर का अगला राजा बनना था।
ऐसे में राजा ने शर्त रखी कि चित्रांगदा का पुत्र मणिपुर में ही रहेगा और वही राज्य का उत्तराधिकारी होगा। अर्जुन ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया और चित्रांगदा से विवाह किया। अर्जुन और चित्रांगदा के पुत्र का नाम बभ्रुवाहन था। बभ्रुवाहन अपने नाना के साथ मणिपुर में ही पले-बढ़े और बाद में वहां के राजा बन गए।
यह भी पढ़ें: Ashadha Amavasya 2025: क्या है आषाढ़ अमावस्या के स्नान-दान और पितृ तर्पण का समय? रखें इन बातों का ध्यान
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।