Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mahabharat Katha: अर्जुन को किससे मिला था किन्नर बनने का श्राप, जो बाद में बन गया वरदान

    Updated: Wed, 01 Jan 2025 04:11 PM (IST)

    अर्जुन महाभारत काल का एक महान योद्धा रहा है। महाभारत की कथा (Mahabharat Katha) के अनुसार पांडवों को कौरवों से चौसर के खेल में हारने के बाद 12 साल वनवास और 01 साल अज्ञातवास का सामना करना पड़ा था। अज्ञातवास के दौरान अर्जुन को मिले एक श्राप ने आगे चलकर उसके लिए वरदान का काम किया। चलिए जानते हैं कैसे।

    Hero Image
    Mahabharat Katha: अर्जुन का श्राप किस तरह आया काम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म ग्रंथों में ऐसी कई पौराणिक कथाएं मौजूद हैं, जो ज्ञान का भंडार भी हैं। इसी तरह महाभारत काल में ऐसी कई घटनाएं घटी हैं, जो व्यक्ति को चकित करने के साथ-साथ कुछ-न-कुछ शिक्षा भी देती हैं। आज हम आपको पांडवों में से एक धनुर्धर अनुर्ज से जुड़ी एक कथा बताने जा रहे हैं, जो काफी रोचक है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्यों मिला अर्जुन का श्राप

    महाभारत की कथा के अनुसार, एक बार अर्जुन स्वर्गलोक में देवराज इंद्र से अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा ले रहे थे। इस दौरान उन्होंने संगीत और नृत्य की भी शिक्षा ली। तब स्वर्गलोक की सबसे सुंदर अप्सरा उर्वशी उसपर मोहित हो गई। उर्वशी ने अर्जुन से प्रेम निवेदन किया, लेकिन अर्जुन ने उन्हें माता कह दिया।

    इससे उर्वशी बहुत ही क्रोधित हो गई और उसने अर्जुन को यह श्राप दिया कि तुम एक साल तक किन्नर के रूप में धरती पर रहोगे। जब इंद्र देव ने उर्वशी को यह बात समझाई कि इंद्रदेव के पुत्र होने के नाते अर्जुन ने तुम्हें माता कहा है, तब जाकर उर्वशी का गुस्सा शांत हुआ। तब उर्वशी ने अर्जुन से कहा कि तुम इस श्राप का उपयोग अपनी जरूरत के हिसाब से कर सकोगे।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    यह भी पढ़ें - ऐसा मंदिर जहां राधा-कृष्ण के साथ वास करती हैं देवी रुक्मिणी, झांसी की रानी से है कनेक्शन

    किस तरह आया काम

    उर्वशी द्वारा अर्जुन को दिए गए श्राप ने आगे चलकर उसके लिए आशीर्वाद का काम किया। उर्वशी के द्वारा दिए गए श्राप से अर्जुन अज्ञातवास के दौरान अपनी असली पहचान छुपाने में कामयाब रहा और उसने एक किन्नर का रूप धारण किया। इस रूप में उसे बृहन्नला नाम से जाना गया। अज्ञातवास के दौरान बृहन्नला बनकर अर्जुन ने विराट नगर के राजा विराट की पुत्री उत्तरा को नृत्य भी सिखाया। इस प्रकार अर्जुन को मिला श्राप अज्ञातवास में उसके लिए वरदान साबित हुआ। 

    यह भी पढ़ें - रावण और मंदोदरी की मुलाकात का साक्षी रहा है ये मंदिर, पूजा करने से मिलता है मनचाहा वर

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।