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    ऐसा मंदिर जहां राधा-कृष्ण के साथ वास करती हैं देवी रुक्मिणी, झांसी की रानी से है कनेक्शन

    Updated: Mon, 23 Dec 2024 05:13 PM (IST)

    रुक्मिणी अष्टमी का दिन बहुत ही विशेष माना जाता है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। यह तिथि देवी रुक्मिणी के जन्म का प्रतीक है। कहते हैं कि इस दिन भगवान कृष्ण और माता रुक्मिणी की उपासना करने से सभी कार्यों में सफलता प्राप्त है। इस साल यह व्रत (Rukmini Ashtami 2024 Date And Time) 23 दिसंबर यानी आज रखा जा रहा है।

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    Rukmini Ashtami 2024 Date And Time: मुरली मनोहर मंदिर झांसी।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल रुक्मिणी अष्टमी का व्रत भक्त पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ करते हैं। यह हर साल पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू पचांग के अनुसार, इस साल यह व्रत (Rukmini Ashtami 2024 Date And Time) 23 दिसंबर यानी आज रखा जा रहा है। इस दिन लोग देवी रुक्मिणी और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से विवाह से जुड़ी सभी समस्याओं का अंत होता है।

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    वहीं, जब आज का दिन इतना खास है, तो चलिए एक ऐसे दिव्य धाम के बारे में जानते हैं, जहां राधा-कृष्ण के साथ देवी रुक्मिणी के दर्शन भी होते हैं।

    इस धाम में राधा-कृष्ण के साथ होते हैं देवी रुक्मिणी के दर्शन

    दरअसल, यह मंदिर उत्तर प्रदेश के झांसी (Jhansi Temple) में स्थित है, इसे लोग मुरली मनोहर मंदिर के नाम से भी जानते हैं। माना जाता है कि यह पहला धाम है, जहां पर राधा-कृष्ण और मां रुक्मिणी एक साथ विराजमान हैं। इस मंदिर (Radha-Krishna Rukmini Temple) में रुक्मिणी अष्टमी का पर्व बहुत ही भव्यता के साथ मनाया जाता है, इस दौरान भारी मात्रा में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

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    बेहद पुराना है इसका इतिहास

    बता दें, इस पावन धाम में बीच में भगवान श्रीकृष्ण और उनके एक ओर राधा रानी और दूसरी ओर रुक्मिणी माता विराजमान हैं। कहते हैं कि इसका इतिहास (Historical Temples In India) 250 साल पुराना है। इसे झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सास सक्कू बाई ने सन 1780 में बनवाया था। यहां आज भी हर रोज भक्तों का सैलाब उमड़ता है।

    साथ ही एक बार दर्शन करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। ऐसे में अगर आप झांसी जाते हैं, तो आपको इस धाम में जरूर जाना चाहिए, क्योंकि यह मंदिर के साथ-साथ भावनाओं और प्रेम का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।