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    Ashadha Amavasya 2025: क्या है आषाढ़ अमावस्या के स्नान-दान और पितृ तर्पण का समय? रखें इन बातों का ध्यान

    Updated: Fri, 20 Jun 2025 12:55 PM (IST)

    आषाढ़ अमावस्या (Ashadha Amavasya 2025) पितरों को समर्पित है। इस दिन स्नान दान और तर्पण का महत्व है। पंचांग के अनुसार आषाढ़ अमावस्या 25 जून को मनाई जाएगी। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है तो आइए इस तिथि से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    Ashadha Amavasya 2025: आषाढ़ अमावस्या के नियम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आषाढ़ अमावस्या का धार्मिक महत्व है। यह तिथि पितरों को समर्पित है। इस दिन स्नान, दान और पितृ तर्पण करना चाहिए। पंचांग के अनुसार, इस बार आषाढ़ माह की अमावस्या बुधवार 25 जून को मनाई जाएगी। कहा जाता है कि इस पावन तिथि पर (Ashadha Amavasya 2025) ज्यादा से ज्यादा पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

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    इससे जीवन की नकारात्मकता दूर होती है, तो आइए इस आर्टिकल में आषाढ़ अमावस्या के स्नान-दान और पितृ तर्पण का शुभ समय जानते हैं।

    आषाढ़ अमावस्या 2025 स्नान-दान समय (Ashadha Amavasya 2025 Snan-Daan Time)

    आषाढ़ अमावस्या के दिन आप सुबह 5 बजे से सुबह 11 बजे तक स्नान-दान, पूजा-पाठ और पितरों का तर्पण कर सकते हैं। अमावस्या का स्नान-दान और पितृ तर्पण सूर्योदय से सूर्यास्त तक किया जा सकता है, लेकिन सुबह का समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

    आषाढ़ अमावस्या पर स्नान-दान का धार्मिक महत्व (Ashadha Amavasya 2025 Significance)

    आषाढ़ अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। अगर नदी में स्नान मुश्किल है, तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इस दिन दान-पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन पितरों की शांति और आशीर्वाद के लिए उनका तर्पण किया जाता है, जिससे वो प्रसन्न होते हैं। कहते हैं कि इस दिन पितृ धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए तर्पण को स्वीकार करते हैं।

    इन बातों का रखें ध्यान (Ashadha Amavasya 2025 Rules)

    • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
    • स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और 'ॐ सूर्याय नमः' मंत्र का 11, 21 या 108 बार जप करें।
    • अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तिल, जौ और जल से उनका तर्पण करें।
    • क्षमता के अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, धन या अन्य चीजों का दान करें। इसके अलावा इस तिथि पर काले तिल, उड़द की दाल, गुड़ और लोहे की चीजों का दान भी शुभ माना जाता है।
    • इस दिन पीपल के पेड़ नीचे दीपक जलाएं और जल चढ़ाएं।
    • इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से शनि दोष से छुटकारा मिलता है।
    • इस दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
    • इस दिन किसी भी तरह के वाद-विवाद से बचना चाहिए।
    • इस दिन कोई भी शुभ काम शुरू करने से बचना चाहिए।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।