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    Ramnavami 2025 Date: भगवान श्रीराम के जन्म समय ग्रहों की क्या स्थिति थी? शुक्र ग्रह से जुड़ा है गहरा नाता

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 05 Feb 2025 08:59 PM (IST)

    सनातन शास्त्रों में निहित है कि भगवान श्रीराम (Ramnavami 2025 Date) ने अपने जीवनकाल में केवल और केवल दुखों का सामना किया था। इसके बावजूद भगवान राम ने कभी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया और न ही मर्यादा को तोड़ा। इसके लिए भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। भगवान राम की पूजा करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

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    Ramnavami 2025 Date: भगवान श्रीराम को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर रामनवमी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है। इस साल 06 अप्रैल को रामनवमी है।

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    वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में निहित है कि भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर दोपहर के समय हुआ था। अतः हर साल मध्याह्न समय पर भगवान राम की पूजा की जाती है। भगवान राम के शरणागत रहने वाले साधकों को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक में अदम्य साहस और धैर्य का संचार होता है। साधक विषम परिस्थिति में भी घबराता नहीं है। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान राम के अवतरण के समय ग्रहों की स्थिति क्या थी और शुक्र से क्यों गहरा नाता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    वाल्मीकि जी की गणना

    ततो य्रूो समाप्ते तु ऋतुना षट् समत्युय:।

    ततश्च द्वादशे मासे चैत्रे नावमिके तिथौ॥

    नक्षत्रेsदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पंचसु।

    ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह॥

    प्रोद्यमाने जनन्नाथं सर्वलोकनमस्कृतम् ।

    कौसल्याजयद् रामं दिव्यलक्षसंयुतम् ॥

    भगवान राम के परम भक्त वाल्मीकि जी ने उनके अवतरण की जानकारी रामायण में दी है। इस श्लोक के अनुसार भगवान राम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था। अतः हर साल चैत्र महीने में रामनवमी मनाई जाती है।

    ग्रहों की स्थिति

    भगवान श्रीराम के अवतरण के समय ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार थी। मन के कारक चंद्र देव कर्क राशि में विराजमान थे। वहीं, सूर्य देव मेष राशि में उपस्थित थे। जबकि, मंगल देव मकर राशि और शनिदेव तुला में विराजमान थे। इसके अलावा, देवगुरु बृहस्पति कर्क राशि और सुखों के कारक शुक्र देव मीन राशि में उपस्थित थे। कुल मिलाकर कहें तो सभी ग्रह उच्च भाव में थे। हर साल शुक्र देव के मीन राशि में गोचर के दौरान ही रामनवमी मनाई जाती है।

    शुक्र ग्रह की स्थिति

    वर्तमान समय में सुखों के कारक शुक्र देव मीन राशि में उपस्थित हैं। इस राशि में शुक्र देव 30 मई तक रहेंगे। इसके अगले दिन शुक्र देव राशि परिवर्तन करेंगे। रामनवमी तिथि पर शुक्रदेव मीन राशि में विराजमान रहेंगे। ज्योतिषियों की मानें तो शनिदेव के मातृ एवं जीवनसाथी भाव में मंगल के रहने के चलते भगवान राम को जीवन भर दुखों का सामना करना पड़ा था।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।