Sundarkand Path: सुंदरकांड का पाठ करने से पहले जान लें ये नियम, फायदे जानकर रह जाएंगे हैरान
तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस के सात अध्यायों में से पांचवा अध्याय सुंदरकांड है जो मुख्य रूप से प्रभु श्रीराम की भक्ति पर आधारित है। केवल सुंदरकांड के पाठ से भी व्यक्ति को जीवन में अद्भुत परिणाम देखने को मिलते हैं। इससे श्री राम चंद्र जी की कृपा तो मिलती ही है साथ ही हनुमान जी भी आपके ऊपर कृपा बरसाते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सुंदरकांड का पाठ करने से साधक को कई तरह के लाभ मिलते हैं, लेकिन आपको ये लाभ तभी नजर आएंगे, जब आप पाठ के दौरान इन नियमों का ध्यान रखेंगे। तो चलिए जानते हैं सुंदरकांड के पाठ (Sundarkand Path Ke Niyam) से संबंधित कुछ नियम।
समय का रखें ध्यान
सुंदरकांड का पाठ करने के लिए मंगलवार, रविवार और शनिवार का दिन उत्तम माना गया है। साथ ही अमावस्या के दिन सुंदरकांड का पाठ करना वर्जित माना गया है। इस बात का भी खास तौर से ध्यान रखें कि कभी भी रात में सुंदरकांड का पाठ नहीं करना चाहिए, वरना इससे आपको पाठ का पूरा लाभ नहीं मिलता।
इन बातों का रखें ख्याल
हमेशा स्नान करने के बाद ही सुंदरकांड का पाठ शुरू करें। साफ-सुथरे कपड़े पहने और स्वच्छता व पवित्रता का ध्यान रखें। इसके बाद हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठकर सुंदरकांड का पाठ करें। मूर्ति या तस्वीर इस प्रकार की होनी चाहिए, जिसमें प्रभु श्री राम, माता सीता व लक्ष्मण भी हों।
यह भी पढ़ें - Mangalwar ke Upay: मंगलवार के दिन कैसे करें हनुमान जी को प्रसन्न, दुख-दर्द होंगे दूर
तभी मिलेगा पूर्ण फल
समूह में भी सुंदरकांड का पाठ किया जा सकता है। इसी के साथ अगर आप 11, 21, 31, 41 दिन तक ये पाठ करते हैं, तो इससे आपको जीवन में अद्भुत परिणाम देखने को मिलते हैं। वहीं ब्रह्म मुहूर्त में सुंदरकांड का पाठ करना अधिक लाभदायक माना जाता है।
मिलते हैं कई लाभ
नियमानुसार पाठ करने से साधक को बजरंगबली का आशीर्वाद तो प्राप्त होता ही है, साथ ही जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर होने लगती हैं। इसी के साथ साधक को श्री हनुमान जी से बल, बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही इससे व्यक्ति का मनचाहा काम भी जल्द पूरा होने के योग बनने लगते हैं।
यह भी पढ़ें - Mangalwar Ke Upay: हनुमान जी की पूजा में करें बजरंग बाण का पाठ, जीवन के सभी दुख होंगे दूर
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।