Lohri 2025: दुल्ला भाटी के 'सुंदर मुंदरिये हो' के बिना फीका है लोहड़ी का त्योहार, पढ़ें अन्य लोकगीत
ज्योतिषियों की मानें तो लोहड़ी (Lohri 2025 Dulla Bhati Songs) पर दुर्लभ भद्रावास योग का संयोग बन रहा है। इस योग का संयोग संध्याकाल 04 बजकर 26 मिनट तक है। इस समय में भद्रा स्वर्ग लोक में रहेंगी। लोहड़ी के शुभ अवसर पर महाकुंभ की भी शुरुआत हुई है। बड़ी संख्या में साधक आज गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 13 जनवरी को लोहड़ी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। लोहड़ी का त्योहार उत्तर भारत में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर संध्याकाल में लोग आग का अलाव लगाते हैं। इस मौके पर महिलाएं लोक गीत गाती हैं और बच्चे एवं बड़े भांगड़ा और गिद्दा डांस करते हैं।
वहीं, विवाहित महिलाएं एवं नवविवाहित जोड़े आग के अलाव में गेहूं की बालियां, चिक्की, मूंगफली आदि चीजें अर्पित करते हैं। धार्मिक मत है कि लोहड़ी का त्योहार दुल्ला भाटी के लोकगीत (Lohri 2025 Dulla Bhati Songs) के बिना अधूरा है। इसके अलावा, कई अन्य लोकगीत भी गाये जाते हैं। हालांकि, दुल्ला भाटी के 'सुंदर मुंदरिये हो' (Lohri 2025 Dulla Bhatti Ki Kahani) लोकगीत से ही लोहड़ी पर्व की शुरुआत होती है। आइए, लोहड़ी के प्रमुख लोक गीत के बारे में जानते हैं-
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लोहड़ी के लोक गीत (Sundar Mundariye Lohri Song)
सुंदर मुंदरिये हो, तेरा कौन विचारा हो,
दुल्ला भट्ठी वाला हो, दुल्ले दी धी व्याही हो,
सेर शक्कर पाई हो, कुड़ी दे जेबे पाई हो,
कुड़ी दा लाल पटाका हो, कुड़ी दा सालू पाटा हो,
सालू कौन समेटे हो, चाचे चूरी कुट्टी हो,
जमीदारां लुट्टी हो, जमीदारां सदाए हो,
गिन-गिन पोले लाए हो, इक पोला घट गया,
ज़मींदार वोहटी ले के नस गया, इक पोला होर आया,
ज़मींदार वोहटी ले के दौड़ आया,
सिपाही फेर के लै गया, सिपाही नूं मारी इट्ट, भावें रो ते भावें पिट्ट,
साहनूं दे लोहड़ी, तेरी जीवे जोड़ी
साडे पैरां हेठ रोड़ सानूं छेती छेती तोर
साडे पैरां हेठ दही, असीं मिलना वी नई
साडे पैरां हेठ परात सानूं उत्तों पै गई रात
दे माई लोहड़ी जीवे तेरी जोड़ी।।
2. 2. ‘पा नी माई पाथी तेरा पुत्त चढेगा हाथी हाथी
उत्ते जौं तेरे पुत्त पोत्रे नौ!
नौंवां दी कमाई तेरी झोली विच पाई
टेर नी माँ टेर नी
लाल चरखा फेर नी!
बुड्ढी साँस लैंदी है
उत्तों रात पैंदी है
अन्दर बट्टे ना खड्काओ
सान्नू दूरों ना डराओ!
चारक दाने खिल्लां दे
पाथी लैके हिल्लांगे
कोठे उत्ते मोर सान्नू
पाथी देके तोर!
3. 'कंडा कंडा नी लकडियो
कंडा सी
इस कंडे दे नाल कलीरा सी
जुग जीवे नी भाबो तेरा वीरा नी,
पा माई पा,
काले कुत्ते नू वी पा
काला कुत्ता दवे वदाइयाँ,
तेरियां जीवन मझियाँ गाईयाँ,
मझियाँ गाईयाँ दित्ता दुध,
तेरे जीवन सके पुत्त,
सक्के पुत्तां दी वदाई,
वोटी छम छम करदी आई।'
लोहड़ी मांगने का गीत -
'पा नी माई पाथी तेरा पुत्त चढेगा हाथी हाथी
उत्ते जौं तेरे पुत्त पोत्रे नौ!
नौंवां नौं वां दी कमाई तेरी झोली विच पाई
टेर नी माँ टेर नी
लाल चरखा फेर नी!
बुड्ढी साँस लैंदी है
उत्तों रात पैंदी है
अन्दर बट्टे ना खड्काओ
सान्नू दूरों ना डराओ!
चारक दाने खिल्लां दे
पाथी लैके हिल्लांगे
कोठे उत्ते मोर सान्नू
पाथी देके तोर!
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