Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Lohri 2025: इस कथा के बिना अधूरा है लोहड़ी का पर्व, माता सती से है कनेक्शन

    लोहड़ी का पर्व आज यानी 13 जनवरी को मनाया जा रहा है। इस पर्व को लोग हर साल भव्यता के साथ मनाते हैं। वहीं इस दिन को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रसिद्ध हैं जिसमें से एक का जिक्र आज हम करेंगे। इसके अलावा कहते हैं कि जो लोग इस दिन (Lohri 2025) से जुड़ी कथा का पाठ करते हैं उनके सभी कष्टों का अंत हो जाता है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 13 Jan 2025 11:43 AM (IST)
    Hero Image
    Lohri 2025: लोहड़ी की शुरुआत कैसे हुई?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक लोहड़ी का पर्व माना जाता है। मुख्य रूप से यह सिखों और हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है, जो ठंड के अंत और रबी फसलों की कटाई का प्रतीक है। यह त्योहार हर साल 13 जनवरी को बहुत उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। इस दिन पर लोग नए-नए पारंपरिक कपड़े पहनते हैं और अलाव के चारों ओर नाचते-गाते हैं। इसके अलावा लोग विभिन्न तरह के पूजन अनुष्ठान का भी पालन करते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कहते हैं कि इस दिन का कनेक्शन माता सती से है, तो आइए इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा (Lohri ki Katha) को जानते हैं।

    लोहड़ी की पावन कथा (Lohri Ki Katha)

    लोहड़ी को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनका अपना महत्व (Lohri 2025 Significance) है। एक बार प्रजापति दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में उन्होंने समस्त देवी-देवताओं को बुलाया, लेकिन भगवान शिव और अपनी पुत्री सती को आमंत्रण नहीं दिया। तब मां सती ने भगवान शिव से पिता के यज्ञ में जाने की इच्छा जाहिर की।

    इसपर महादेव ने कहा कि 'उन्हें इस आयोजन में नहीं जाना चाहिए, क्योंकि कहीं भी बिना बुलाए जाने से सिर्फ अपमान होता है। इसके बाद भी देवी नहीं मानी। फिर भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी।

    मां सती बेहद दुखी हुईं

    जब देवी सती उस महायज्ञ का हिस्सा बनी, तो उन्होंने देखा कि ''उनके पिता उनके वहां जाने से खुश नहीं है। साथ ही वह बार-बार शिव जी के लिए अपमानजनक शब्द का उपयोग कर रहे हैं, जिसे सुनकर वे बेहद दुखी हुईं।''

    कहते हैं कि भगवान शिव का अपमान माता सती से नहीं सहा गया था, जिस वजह से उन्होंने उसी यज्ञ में आत्मदाह कर लिया था। तभी से मां सती (Maa Sati Ki Katha) की याद में लोहड़ी के पर्व की शुरुआत हुई।

    यह भी पढ़ें: Happy Lohri 2025 Wishes: लोहड़ी के पावन अवसर पर इन शुभ संदेशों से दें बधाइयां, दिन बनेगा खास

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।