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    Karwa Chauth 2025: सरगी से चंद्रोदय समय तक, यहां नोट करें करवा चौथ का शुभ मुहूर्त समेत पूरी जानकारी

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 01:36 PM (IST)

    करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth 2025) देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस व्रत को करने से विवाहित महिलाओं के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की भक्ति भाव से पूजा की जाती है।

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    Karwa Chauth 2025: करवा चौथ का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पति की लंबी आयु के लिए विवाहित महिलाएं करवा माता के निमित्त निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से व्रती की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके साथ ही पति को दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है।

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    करवा चौथ व्रत का समापन करवा माता और चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। इस समय व्रती छलनी में अपने पति का दर्शन करती हैं। वहीं, पति पानी पिलाकर व्रती का पारण कराते हैं। आइए, करवा चौथ की पूजा विधि से लेकर चंद्र देव के दर्शन तक का सही समय जानते हैं-

    कब है करवा चौथ?

    वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 10 अक्टूबर को करवा चौथ मनाया जाएगा। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाकर व्रत शुरू करते हैं। वहीं, संध्या काल में चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलती हैं।

    करवा चौथ शुभ योग

    कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सिद्धि और शिववास योग कई दुर्लभ एवं मंगलकारी योग बन रहे हैं। करवा चौथ के कृत्तिका और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही बव, बालव और तैतिल योग का निर्माण हो रहा है।

    तिथि

    सनातन धर्म में कार्तिक माह का खास महत्व है। इस महीने में जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा से जागृत होते हैं। इसके साथ ही कार्तिक महीने में दीवाली, धनतेरस, छठ पूजा समेत कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। इस माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ मनाया जाता है। इस दिन वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी भी मनाई जाती है।

    थाली में शामिल करें ये चीजें

    गंगाजल, शुद्ध जल, लकड़ी की चौकी, चलनी, करवा, कलश, पीली मिट्टी, अठावरी, हलवा, दक्षिणा, गेहूं, शक्कर, रोली, चावल, जौ, माचिस, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, चंदन, शहद, धूप, कुमकुम, हल्दी आदि।

    करवा चौथ व्रत समय

    कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन व्रत समय प्रातः काल 06 बजकर 19 मिनट से लेकर शाम 08 बजकर 13 मिनट तक है। सरगी प्राप्त करने के बाद व्रती चंद्र उदय तक व्रत रखेंगी।

    करवा चौथ पूजा समय

    कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर पूजा के लिए शुभ समय शुक्रवार 10 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 57 मिनट से लेकर 07 बजकर 11 मिनट तक है। इस समय में व्रती करवा माता और चंद्र देव की पूजा कर सकती हैं।

    करवा चौथ चंद्र दर्शन समय

    कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन चंद्र दर्शन समय शाम 08 बजकर 13 मिनट पर है। इस समय चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं व्रत खोलेंगी।

    करवा

    सनातन धर्म में भगवान गणेश प्रथम पूजनीय हैं। वहीं, करवा चौथ पूजा में करवा को भगवान गणेश माना जाता है। इसके लिए करवा में जल रखा जाता है और अग्नि देव को साक्षी मानकर कलश के सामने दीपक जलाया जाता है। साथ ही दीपक से आरती की जाती है।

    सींक

    करवा चौथ (Karwa Chauth History) में सींक का खास महत्व है। शास्त्रों में वर्णित है कि एक बार करवा माता के पति सरोवर में स्नान कर रहे थे। उस समय मगरमच्छ ने करवा माता के पति के पैर को पकड़ लिया। यह देख करवा माता ने सींक से मगरमच्छ के मुंह को बाँध दिया। इसके बाद करवा माता मगरमच्छ को लेकर यमलोक पहुंची। जब यमदेव को पूरी जानकारी प्राप्त हुई थी, तो यमदेव ने करवा माता के पति के प्राण की रक्षा की। इसके लिए पूजा के दौरान सींक अवश्य ही रखा जाता है।

    कलश और थाली

    करवा चौथ की संध्या को चंद्र उदय के बाद कलश से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। पूजा की थाली में जौ भी रखा जाता है। इससे सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही घर में सुख और शांति बनी रहती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से व्रती की हर मनोकामना पूरी होती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।