Karva Chauth 2025: शरद पूर्णिमा से लेकर करवा चौथ तक, नोट करें व्रत-त्योहार की सही तिथि
हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में करवा चौथ (Karva Chauth 2025) मनाया जाता है। वहीं कार्तिक अमावस्या तिथि पर दीवाली मनाई जाती है। वहीं त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। साथ ही सोने और चांदी से निर्मित आभूषणों की खरीदारी की जाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का खास महत्व है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि शरद पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने रासलीला की थी। इस दिन मन के कारक चंद्र देव सोलह कलाओं से पूर्ण रहते हैं। कालांतर में समुद्र मंथन के दौरान धन की देवी मां लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी। इसके लिए शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी और चंद्र देव की भक्ति भाव से पूजा की जाती है।
इस साल शरद पूर्णिमा सोमवार 06 अक्टूबर को मनाई जाएगी। शरद पूर्णिमा के अगले दिन से कार्तिक माह की शुरुआत होगी। इस माह के पहले सप्ताह में कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाएंगे। आइए, कार्तिक माह के पहले सप्ताह के व्रत-त्योहार की सही तिथि और मुहूर्त जानते हैं-
प्रमुख व्रत-त्योहार
- 6 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है। इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस शुभ अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। इसके साथ ही मन के कारक चंद्र देव की भी साधना और उपासना की जाती है।
- 7 अक्टूबर को वाल्मीकि और मीराबाई जयंती मनाई जाएगी।
- 10 अक्टूबर को कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस शुभ अवसर पर करवा चौथ मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से व्रती के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके साथ ही 10 अक्टूबर को वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की भक्ति भाव से पूजा की जाएगी।
- 11 अक्टूबर को रोहिणी व्रत है। जैन धर्म में रोहिणी व्रत का खास महत्व है। इस दिन भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती है। साथ ही व्रत रखा जाता है।
- 13 अक्टूबर को अहोई अष्टमी, मासिक कालाष्टमी और कृष्ण जन्माष्टमी और राधा कुंड स्नान है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर काल भैरव देव और जगत के पालनहार भगवान कृष्ण की भक्ति भाव से पूजा की जाएगी।
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