Kharmas 2025 Date: कब से शुरू हो रहा है खरमास? नोट करें सही डेट और नियम
ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य देव (Sun Nakshatra Transit 2025 ) की उपासना करने से आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। सूर्य देव की कृपा बरसने से जातक को करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है। ज्योतिष कुंडली में सूर्य मजबूत करने के लिए भगवान विष्णु की पूजा करने की सलाह देते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में खरमास का खास महत्व है। इस दौरान आत्मा के कारक सूर्य देव धनु और मीन राशि में विराजमान रहते हैं। वहीं, सूर्य देव के सिंह, कन्या, तुला और वृश्चिक राशि में गोचर के दौरान मलमास रहता है। इस समय में सूर्य दक्षिणायन रहते हैं। मलमास और खरमास के दौरान शुभ काम नहीं किया जाता है। अनदेखी करने से शुभ काम में सफलता नहीं मिलती है।
ज्योतिषियों की मानें तो खरमास के दौरान गुरु का प्रभाव शून्य हो जाता है। वहीं, मलमास के दौरान जगत के पालनहार भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करते हैं। इसके लिए शुभ काम नहीं किया जाता है। अतः खरमास (Kharmas 2025 Date) और मलमास के दौरान शुभ काम करने की मनाही होती है। आइए, खरमास के बारे में सबकुछ जानते हैं-
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सूर्य गोचर (Surya Gochar 2025)
ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य देव 12 फरवरी को कुंभ राशि में गोचर करेंगे। इस राशि में सूर्य देव 13 मार्च तक रहेंगे। इसके अगले दिन 14 मार्च को सूर्य देव कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करेंगे। सूर्य देव के मीन राशि में गोचर करने के साथ ही खरमास शुरू होगा। इस दौरान शुभ काम नहीं किया जाएगा। विवाह समेत सभी शुभ कामों पर प्रतिबंध रहता है। सूर्य देव 14 अप्रैल को मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर करेंगे। इस दिन से खरमास समाप्त होगा।
करें ये उपाय
खरमास के दौरान धनु और मीन राशि के जातक सूर्य देव की उपासना करें। रोजाना सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। सूर्य चालीसा का पाठ करें। साथ ही भगवान विष्णु की भक्ति भाव से पूजा करें। गुरुवार के दिन पीले रंग के कपड़े पहनें। साथ ही गुरुवार के दिन पीले रंग की चीजों का दान करें।
सूर्य मंत्र
- ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
- ॐ घृणिः सूर्याय नमः
- ॐ ह्रीं घृणिः सूर्याय नमः
- ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय सहस्रकिरणाय नमः
- ॐ भास्कराय नमः
- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
- ॐ जगद्धिताय नमः
- ॐ खगाय नमः
- ॐ अरुणाय नमः
- ॐ भानवे नमः
2. जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।
तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।।
3. ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।
हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।
4. ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात ।।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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