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    Kharmas 2025: खरमास में नहीं करने चाहिए ये मांगलिक काम, लेकिन इनसे मिलेंगे शुभ परिणाम

    By Digital DeskEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Sun, 14 Dec 2025 06:00 PM (IST)

    हिंदू धर्म में खरमास (Kharmas 2025) को एक पवित्र समय माना जाता है, जो 16 दिसंबर, 2025 से शुरू हो रहा है। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश और नए व्यापार जैसे ...और पढ़ें

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    Kharmas 2025: खरमास के नियम।

    दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। हिंदू धर्म में खरमास को एक पवित्र लेकिन सावधानीपूर्ण समय माना जाता है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, जब सूर्य देव धनु राशि या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तब यह काल खरमास कहलाता है। इस वर्ष, 2025 में खरमास 16 दिसंबर से आरंभ हो रहा है। इस महीने के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार और नए व्यापार जैसी मांगलिक गतिविधियों से परहेज करना चाहिए।

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    हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि सभी धार्मिक और शुभ कार्य बंद हो जाएं। खरमास (Kharmas 2025) में कुछ विशेष कार्य करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त हो सकते हैं।

    खरमास में कौन कौन से काम करने चाहिए? (Kharmas 2025 Rituals)

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    पूजा-पाठ

    खरमास में प्रतिदिन भगवान विष्णु, शिव या अन्य देवी-देवताओं की पूजा और भजन-कीर्तन करना शुभ होता है। इससे घर और मन में संतुलन बना रहता है और आत्मिक शांति के साथ परिवार में सामंजस्य भी बढ़ता है।

    दान-पुण्य

    खरमास में गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या आवश्यक सामग्री देना अत्यंत लाभकारी होता है। यह कार्य सूर्य देव और बृहस्पति देव की कृपा आकर्षित करता है, जिससे वित्तीय स्थिरता, मानसिक संतोष और सकारात्मक ऊर्जा के अवसर बढ़ते हैं।

    तीर्थ यात्रा

    इस समय तीर्थ यात्रा या धार्मिक स्थलों का दर्शन लाभकारी होता है। यह आध्यात्मिक अनुभव के साथ जीवन में मानसिक उन्नति और ऊर्जा का सही प्रवाह सुनिश्चित करता है। नियमों का पालन करने से शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।

    घर की सफाई

    घर में सफाई और पूजा स्थल का शुद्धिकरण करना शुभ फल देता है। दीपक जलाना और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखना परिवार में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य को प्रेरित करता है। यह मानसिक संतुलन और आंतरिक शांति भी बढ़ाता है।

    खरमास का महत्व

    खरमास में शुभ और मांगलिक कार्यों से परहेज करने का कारण ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से समझा जाता है। इस समय सूर्य देव धनु या मीन राशि में होते हैं, जब उनकी ऊर्जा कम मानी जाती है। सूर्य देव नवग्रहों में राजा और आत्मा का प्रतीक हैं, और किसी भी मांगलिक कार्य की सफलता के लिए उनकी मजबूती आवश्यक होती है। साथ ही गुरु देव (बृहस्पति) के गुणों में कमी आ जाती है, जिससे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन या नए व्यापार जैसी गतिविधियों के शुभ फल कमजोर या अधूरे रह सकते हैं। इसलिए खरमास में ये कार्य टालने की सलाह दी जाती है।

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    लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।