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    Kharmas 2025: खरमास में शुभ कार्यों पर लग जाता है ब्रेक, जानें इस महीने के जरूरी नियम और उपाय

    By digital deskEdited By: Suman Saini
    Updated: Sat, 13 Dec 2025 07:30 PM (IST)

    हिन्दू धर्म में धनु संक्रांति अत्यंत शुभ और फलदायी समय माना जाता है, क्योंकि इस दिन सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्य देव का यह गोचर जीवन ...और पढ़ें

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    Kharmas niyam in hindi (AI Generated Image)

    दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। 16 दिसंबर से खरमास (Kharmas 2025) की शुरुआत होने जा रही है। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार और नए व्यवसाय जैसी मांगलिक गतिविधियों से परहेज करना सलाह दी जाती है, जबकि पूजा, दान-पुण्य और तीर्थ यात्रा जैसे धार्मिक कार्य शुभ फल प्रदान करते हैं। सूर्य देव की कृपा आत्म-विश्वास और मानसिक स्पष्टता बढ़ाती है, लेकिन उनकी ऊर्जा थोड़ी कमजोर मानी जाती है, इसलिए मांगलिक कार्यों में सावधानी आवश्यक है।

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    खरमास का महत्व

    खरमास के दौरान कुछ मांगलिक कार्यों से परहेज करना ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस समय सूर्य देव धनु या मीन राशि में प्रवेश कर रहे होते हैं, जब उनकी ऊर्जा थोड़ी कमजोर मानी जाती है। सूर्य देव नवग्रहों में राजा और आत्मा का प्रतीक माने जाते हैं, और उनकी मजबूती के बिना किए गए मांगलिक कार्यों का पूर्ण फल प्राप्त करना कठिन हो सकता है। साथ ही, गुरु देव (बृहस्पति), जो ज्ञान, धर्म और शुभ फल के कारक हैं, इस समय अपनी पूर्ण शक्ति नहीं दिखा पाते।

    Kharmas i

    (AI Generated Image)

    इससे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार या नए व्यवसाय जैसी मांगलिक गतिविधियों का शुभ फल कमजोर या अधूरा रह सकता है। इसलिए, खरमास की अवधि में इन कार्यों को टालना ही ज्योतिषीय दृष्टि से उचित और लाभकारी माना जाता है। यह समय सावधानी, आत्मनिरीक्षण और धार्मिक क्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करने का है।

    इस अवधि में धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ, दान-पुण्य और तीर्थ यात्रा जैसे कार्य करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं, जिससे भविष्य में किए गए मांगलिक कार्यों का फल पूरी तरह मिलता है।

    खरमास से जुड़ी खास बातें

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    (AI Generated Image)

    पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन - प्रतिदिन भगवान विष्णु, शिव या अन्य देवी-देवताओं की आराधना करने से घर और मन में संतुलन रहता है, आत्मिक शांति मिलती है और परिवार में सामंजस्य बढ़ता है।

    दान-पुण्य और सहायता - गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या अन्य आवश्यक सामग्री देने से जीवन में सकारात्मक फल और पुण्य के अवसर बढ़ते हैं।
    तीर्थ यात्रा और धार्मिक दर्शन - यह आध्यात्मिक अनुभव के साथ मानसिक उन्नति और ऊर्जा का सही प्रवाह सुनिश्चित करता है। नियमों का पालन करने से शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।

    घर की सफाई और सकारात्मक वातावरण - पूजा स्थल का शुद्धिकरण, दीपक जलाना और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखना परिवार में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य को प्रेरित करता है।

    ध्यान और आत्मनिरीक्षण - खरमास में ध्यान और आत्मनिरीक्षण करने से मानसिक स्थिरता, आत्म-चेतना और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, जिससे जीवन में संतुलन और निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होती है।

    लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।