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    Kedarnath Yatra 2025: क्यों अलग है केदारनाथ का शिवलिंग? पांडव से जुड़ा है रहस्य

    Updated: Mon, 05 May 2025 11:55 AM (IST)

    केदारनाथ (Kedarnath Yatra 2025) का शिवलिंग न केवल अपनी अनूठी आकृति की वजह से खास है बल्कि यह उस गहरी आस्था और पौराणिक कथाओं का भी प्रतीक है जो इसे और भी अधिक रहस्यमय बनाती है तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि आखिर केदारनाथ का शिवलिंग बाकी शिवलिंग से क्यों अलग है?

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    Kedarnath Yatra 2025: त्रिकोणाकार शिवलिंग का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। केदारनाथ धाम बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए नहीं बल्कि धार्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। यहां शिवलिंग की पूजा विग्रह रूप में होती है, जो बैल की पीठ जैसे त्रिकोणाकार रूप में है। भोलेनाथ के इस अनूठे स्वरूप की महिमा अपार है, तो आइए इससे जुड़ी मान्यताओं और कथा पर नजर डालते हैं।

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    भोलेनाथ पांडवों से रुष्ट थे (Bholenath Was Angry With The Pandavas)

    ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडव अपने भाइयों की मृत्यु के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। इसलिए वे भगवान शिव से आशीर्वाद लेने के लिए काशी गए। भगवान शिव पांडवों से रुष्ट थे और उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे, जिसकी वजह से वे बैल का रूप धारण कर गुप्तकाशी में छिप गए। पांडवों भोलेनाथ को ढूंढते हुए गढ़वाल तक पीछा किया।

    भीम ने एक बैल को अन्य बैलों के झुंड से अलग पहचान लिया और उसे पकड़ने की कोशिश की। फिर बैल रूपी शिव जमीन में समाने लगे, लेकिन भीम ने उनकी पीठ का कूबड़ वाला हिस्सा पकड़ लिया।

    त्रिकोणाकार शिवलिंग (Kedarnath Shivling)

    ऐसा कहा जाता है कि केदारनाथ में पूजे जाने वाला त्रिकोणाकार शिवलिंग उसी बैल की पीठ का प्रतिक हैं। कहते हैं कि भगवान शिव का मुख नेपाल में पशुपतिनाथ के रूप में प्रकट हुआ, उनकी भुजाएं तुंगनाथ में, नाभि मध्यमहेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुईं। इन पांच स्थानों को पंचकेदार के रूप में जाना जाता है।

    अन्य कारण (Kedarnath Yatra 2025, spiritual Mystery)

    इस कथा के अलावा, केदारनाथ के शिवलिंग का आकार हिमालय की प्राकृतिक शक्तियों का भी प्रतीक माना जा सकता है। सदियों से बर्फ, ठंड और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के बावजूद, यह शिवलिंग अपनी जगह पर अडिग है, जो भगवान शिव की अचल और अविनाशी रूप को दिखाता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।