Karwa Chauth 2025: करवा चौथ के दिन शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें, अखंड सौभाग्य की होगी प्राप्ति
हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सुहागिन महिलाएं करवा चौथ (Karwa Chauth 2025) का व्रत का निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत को बेहद कठिन माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं और करवा माता की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन शिवलिंग का अभिषेक जरूर करना चाहिए।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक माह में करवा चौथा का व्रत 10 अक्टूबर (Kab hai Karwa Chauth 2025) को रखा जाएगा। इस पर्व के आने का सुहागिन महिलाएं बेसब्री से इंतजार करती हैं। इस दिन निर्जला किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, करवा चौथ के दिन करवा माता की पूजा-अर्चना और चंद्र दर्शन कर अर्घ्य देने से पति को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता आती है।
इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है। अगर आप भी महादेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो करवा चौथ के दिन शिवलिंग पर विशेष चीजें अर्पित करें। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शिवलिंग का अभिषेक करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में चलिए इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं कि करवा चौथ के दिन शिवलिंग पर क्या चढ़ाएं।
शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजे
- करवा चौथ के दिन सुबह स्नान और व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करें। इसके बाद देसी घी का दीपक जलाएं और शिवलिंग का गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस उपाय को करने से भक्त को वैवाहिक जीवन में सभी सुख मिलते हैं। साथ ही महादेव की कृपा प्राप्त होती है।
- इसके अलावा शिवलिंग पर एक लोटा साफ जल जरूर अर्पित करें। महादेव के मंत्र का जप करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जल से अभिषेक करने से व्यक्ति को जीवन में सभी कामों में सफलता मिलती है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
- पूजा के दौरान दूध, दही, शहद और बेलपत्र भी अर्पित करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ के दिन इन चीजों से शिवलिंग का अभिषेक करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं।
चंद्र देव मंत्र
1. प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम ।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम ।।
2. ऊँ चन्द्रपुत्राय विदमहे रोहिणी प्रियाय धीमहि तन्नोबुध: प्रचोदयात ।
3. ऊँ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुटभूषणम ।।
4. ऊँ अमृतंग अन्गाये विधमहे कलारुपाय धीमहि, तन्नो सोम प्रचोदयात ।।
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