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    Kalashtami 2025: आज है मासिक कालाष्टमी, जानिए पूजा विधि और शुभ योग

    Updated: Thu, 20 Feb 2025 09:56 AM (IST)

    आज मासिक कालाष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। यह प्रत्येक माह बहुत ही भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव के निमित्त व्रत रखने और पूजा-पाठ करने का विधान है। कहा जाता है कि इस दिन भैरव बाबा की पूजा करने से मनचाहा फल मिलता है। इसके साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

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    Kalashtami 2025 : मासिक कालाष्टमी पूजन विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कालाष्टमी का पर्व बहुत मंगलकारी माना जाता है। यह दिन भगवान शिव के उग्र स्वरूप भगवान काल भैरव की पूजा के लिए समर्पित है। इस शुभ दिन पर भक्त उपवास रखते हैं और मंदिर में जाकर विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। कालाष्टमी हर महीने कृष्ण अष्टमी के दौरान आती है। इस महीने यह 20 फरवरी, 2025 यानी आज के दिन मनाई जा रही है।

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    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन (Kalashtami 2025) भैरव बाबा की आराधना करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है और मनचाहा फल मिलता है, तो आइए यहां पर सही पूजा विधि जानते हैं।

    मासिक कालाष्टमी शुभ योग (Kalashtami 2025 Shubh Yog)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 28 मिनट से 03 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। फिर गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 12 मिनट से 06 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही निशिता मुहूर्त रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 10 बजे तक रहेगा।

    इसके अलावा इस शुभ दिन पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शिववास का भी शुभ संयोग बन रहा है। इस दौरान आप भगवान काल भैरव की उपासना कर सकते हैं।

    भोग

    भगवान काल भैरव को मीठी रोटी का विशेष भोग लगाया जाता है। भक्त इसे घर पर भी बना सकते हैं या फिर किसी काल भैरव मंदिर के बाहर भी जाकर ले सकते हैं।

    मासिक कालाष्टमी पूजन विधि (Kalashtami 2024 Puja Vidhi)

    सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें। पूजा घर की साफ-सफाई करें। एक चौकी पर भैरव बाबा की प्रतिमा स्थापित करें। फिर गंगाजल से उनका अभिषेक करें। इसके बाद उनकी प्रतिमा साफ वस्त्र से पोंछे। उन्हें इत्र लगाएं और सफेद फूलों की माला अर्पित करें। चंदन का तिलक लगाएं। फल, मिठाई और घर पर बने मिष्ठान का भोग लगाएं। भगवान के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं और काल भैरव अष्टक का पाठ भक्तिपूर्वक करें।

    आरती से अपनी पूजा को पूरी करें। अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए माफी मांगे। व्रती अगले दिन प्रसाद से अपना व्रत खोलें। गरीबों को भोजन खिलाएं और क्षमता अनुसार दान करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।