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    Pradosh Vrat 2025: भगवान शिव की पूजा के समय करें इस मंगलकारी स्तोत्र का पाठ, आर्थिक तंगी से मिलेगी निजात

    फाल्गुन का महीना देवों के देव महादेव और जगत की देवी मां पार्वती को समर्पित होता है। इस महीने में रोजाना महादेव की पूजा की जाती है। वहीं महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन साधक मनचाहा वरदान पाने के लिए व्रत रखते हैं। प्रदोष व्रत के दिन (Pradosh Vrat 2025) भगवान शिव की पूजा-भक्ति की जाती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 19 Feb 2025 08:04 PM (IST)
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    Pradosh Vrat 2025: भगवान शिव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pradosh Vrat 2025: वैदिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार 25 फरवरी को फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी है। इस शुभ तिथि पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है। प्रदोष व्रत के शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत का फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। मंगलवार के दिन पड़ने के चलते यह भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा।

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    भौम प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा करने से साधक (व्यक्ति) को आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है। साथ ही सुख, आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अगर आप भी आर्थिक तंगी से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो भौम प्रदोष व्रत पर भक्ति भाव से महादेव की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। इन स्तोत्र के पाठ से धन की समस्या दूर होती है। 

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    प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 25 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से लेकर 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट तक है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में देवों के देव हमहादेव की पूजा की जाती है। इसके लिए मंगलवार 25 फरवरी को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।

    ऋण मोचक मङ्गल स्तोत्र

    मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः ।

    स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः ॥

    लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः ।

    धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥

    अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः ।

    व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥

    एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत् ।

    ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात् ॥

    धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम् ।

    कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम् ॥

    स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः ।

    न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित् ॥

    अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल ।

    त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय ॥

    ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः ।

    भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा ॥

    अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः ।

    तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात् ॥

    विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा ।

    तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः ॥

    पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः ।

    ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः ॥

    एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम् ।

    महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा ॥

    ऋणमुक्ति स्तोत्र

    ॐ स्मरामि देवदेवेशंवक्रतुण्डं महाबलम्।

    षडक्षरं कृपासिन्धुंनमामि ऋणमुक्तये॥

    महागणपतिं वन्देमहासेतुं महाबलम्।

    एकमेवाद्वितीयं तुनमामि ऋणमुक्तये॥

    एकाक्षरं त्वेकदन्तमेकंब्रह्म सनातनम्।

    महाविघ्नहरं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥

    शुक्लाम्बरं शुक्लवर्णंशुक्लगन्धानुलेपनम्।

    सर्वशुक्लमयं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥

    रक्ताम्बरं रक्तवर्णंरक्तगन्धानुलेपनम्।

    रक्तपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

    कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णंकृष्णगन्धानुलेपनम्।

    कृष्णयज्ञोपवीतं चनमामि ऋणमुक्तये॥

    पीताम्बरं पीतवर्णपीतगन्धानुलेपनम्।

    पीतपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

    सर्वात्मकं सर्ववर्णंसर्वगन्धानुलेपनम्।

    सर्वपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

    एतद् ऋणहरं स्तोत्रंत्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।

    षण्मासाभ्यन्तरे तस्यऋणच्छेदो न संशयः॥

    सहस्रदशकं कृत्वाऋणमुक्तो धनी भवेत्॥

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