Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Lord Shiva: स्वयं भगवान शिव ने बताए थे कर्म के ये 7 सिद्धांत, इनके अनुसरण से नहीं आएगा जीवन में कोई दुख

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Fri, 09 Jun 2023 11:48 AM (IST)

    पौराणिक शास्त्रों में भगवान शिव का वर्णन देवों के देव महादेव के रूप में मिलता है। स्वयं भगवान शिव ने कर्म के ऐसे 7 सिद्धांतों का उल्लेख किया है जिनसे बच पाना या जिन्हें टाल पाना लगभग असंभव है।

    Hero Image
    Lord Shiva स्वयं भगवान शिव ने बताए थे कर्म के 7 सिद्धांत।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Lord Shiva: शास्त्रो में भगवान शिव को सृष्टि के विनाशक के तौर पर दर्शाया गया है लेकिन साथ ही यह भी बताया गया है कि स्वयं शिव ही एक नया आरंभ कर सकते हैं। महादेव द्वारा बताए गए कर्म के इन 7 सिद्धांतों का ध्यान रखने से व्यक्ति जीवन में आने वाली हर विपदा का सामना कर सकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्यों नहीं देना चाहिए झूठ का साथ

    इंसान पूरी जिंदगी ये सोचकर झूठ, कपट और धोखेबाजी का साथ देता है कि इससे कभी कोई हानि नहीं होगी। लेकिन भगवान शिव ने खुद कहा है कि अंत में इन सभी कर्मों की भरपाई करनी पड़ती है। झूठ और कपट के साथ केवल छोटी-मोटी लड़ाई ही जीता जा सकती हैं। लेकिन जीवन के बड़े युद्ध जीतने के लिए सत्य ही काम आता है। इसलिए हमेशा न्याय का साथ देना चाहिए।

    कैसे करें ब्रह्म ज्ञान की खोज

    इस विश्व में हर व्यक्ति को पूरा ज्ञान नहीं है लेकिन सभी के पास किसी-न-किसी चीज का ज्ञान हैं। भगवान शिव के अनुसार, ब्रह्म ज्ञान की खोज के लिए हमें अपने भीतर ही उसकी तलाश करनी होगि। ये हमें कहीं बाहर से प्राप्त नहीं हो सकता।

    क्या है भ्रम

    भोलेनाथ ने अपने कर्म के सिद्धांत में इस बात का वर्णन किया है कि यदि किसी व्यक्ति की खुशियां किसी भौतिक पदार्थ से जुड़ी है तो वह खुशी उस व्यक्ति के लिए एक भ्रम है। क्योंकि वह वस्तु नश्वर है जिसका अंत होना निश्चित है। इसलिए व्यक्ति को भौतिक आकर्षण से बचकर रहना चाहिए।

    कहां ढूंढे वास्तविक खुशी

    व्यक्ति हर काम अपनी या अपने परिवार की खुशी के लिए करता है। वास्तविक खुशी को किसी सीमा में बांधकर नहीं रखा जा सकता। महादेव के अनुसार, खुशी मस्तिष्क की वह स्थिति है जब व्यक्ति आंतरिक रूप से संतुष्ट और प्रसन्न होता है। इसलिए खुशी की तलाश भी स्वयं के भीतर ही की जा सकती है, न की बाहर।

    पानी से सीखें ये गुण

    भगवान शिव ने अपने कर्म के पांचवें सिद्धांत में कहा है कि व्यक्ति को पानी की तरह निराकार रहना चाहिए। पानी को किसी भी बर्तन में डाला जाए तो वह उसी का आकार ले लेता है। अगर व्यक्ति पानी का यह गुण को अपना लेता है तो वह अपने आप को किसी भी परिस्थिति के अनुसार ढाल सकता है। इससे आपकी खुशियां भी क्षणभंगुर नहीं होंगी।

    कैसे करें इंद्रियों का प्रयोग

    जब व्यक्ति का मस्तिष्क शांत होता है, तो उसका हृदय, उसकी भावनाएं उसके नियंत्रण में होती हैं। इससे वह अपने मन की आवाज को अच्छे से सुन व समझ सकता है। जब व्यक्ति की इंद्रियां उसके वश में रहेंगी तभी वह उनका अपने अनुसार प्रयोग कर पाएगा।

    क्या है आखिरी सिद्धांत

    भगवान शिव द्वारा बताया गया कर्म का यह आखिरी सिद्धांत सबसे महत्वपूर्ण हैं। मनुष्य जीवन का वास्तविक उद्देश्य उसी परम सत्ता में विलीन हो जाना है जहां से उसकी उत्पत्ति हुई है, अर्थात ईश्वर में। यह तभी संभव है जब सभी सिद्धांतों का जीवन में अनुसरण किया जाए।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'