Kaal Sarp Dosh: कब और कैसे लगता है कालसर्प दोष? इन उपायों से पाएं छुटकारा
ज्योतिष अमावस्या और पूर्णिमा तिथि के दिन कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) निवारण कराने की सलाह देते हैं। इन तिथियों पर भगवान शिव की पूजा करने से राहु और केतु का प्रभाव समाप्त हो जाता है। साथ ही सोमवार के दिन भी कालसर्प दोष का निवारण करा सकते हैं। भगवान शिव के शरणागत रहने वाले साधकों को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र का खास महत्व है। कुंडली से व्यक्ति के वर्तमान और भविष्य की पूरी जानकारी मिल जाती है। कई ज्योतिष भूत की जानकारी भी बता देते हैं। कुंडली में आठ ग्रहों को दो भागों में बांटा गया है। अशुभ ग्रहो के चलते व्यक्ति को जीवन में ढेर सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन आपको पता है कि कुंडली में कब और कैसे कालसर्प दोष लगता है और क्यों यह दोष कष्टकारी होता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
कौन हैं राहु और केतु?
राहु और केतु दोनों मायावी ग्रह हैं। दोनों ही वक्री चाल चलते हैं। राहु और केतु एक राशि में डेढ़ साल तक रहते हैं। इसके बाद एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में गोचर करते हैं। वर्तमान समय में राहु मीन राशि में विराजमान हैं और केतु कन्या राशि में उपस्थित हैं। ज्योतिषियों की मानें तो राहु और केतु मई महीने में राशि परिवर्तन करेंगे।
कैसे लगता है कालसर्प दोष?
मायावी ग्रह राहु और केतु के चलते कालसर्प दोष लगता है। ज्योतिषियों की मानें तो राहु और केतु के मध्य सभी शुभ और अशुभ ग्रहों के रहने पर कालसर्प दोष लगता है। राहु के लग्न भाव में रहने, केतु के सप्तम में रहने और सभी शुभ एवं अशुभ ग्रह इन दोनों के मध्य रहने पर अनंत कालसर्प योग बनता है। इसी प्रकार कालसर्प दोष के कई प्रकार हैं। कालसर्प दोष लगने पर जातक को जीवन में विषम परिस्थिति से गुजरना पड़ता है।
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उपाय
कालसर्प दोष से पीड़ित जातकों को शिव जी की उपासना करनी चाहिए। इसके लिए हर सोमवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। सोमवार के दिन सफेद चीजों का दान करें। इसके साथ ही शनिवार के दिन जलधारा में जटा वाला नारियल बहाएं। इसके अलावा, हनुमान जी की पूज करें। साथ ही रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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