Anant Kaal Sarp Yog: कब और कैसे लगता है अनंत कालसर्प योग? इन उपायों से करें बचाव
ज्योतिषियों की मानें तो 18 मई 2025 को राहु और केतु (Anant Kaal Sarp Yog) राशि परिवर्तन करेंगे। राहु वक्री चाल चलकर मीन राशि से कुंभ राशि में गोचर करेंगे। वहीं केतु कन्या राशि से निकलकर सिंह राशि में गोचर करेंगे। सूर्य और चंद्र देव के साथ राहु और केतु का शत्रुवत संबंध है। अतः ग्रहण के दौरान सावधान रहने की सलाह दी जाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को मायावी ग्रह कहा जाता है। दोनों वक्री चाल चलते हैं। वर्तमान समय में राहु मीन राशि में विराजमान हैं। वहीं, केतु कन्या राशि में उपस्थित हैं। राहु और केतु डेढ़ साल तक एक राशि में रहते हैं। इसके बाद राशि परिवर्तन करते हैं। अगले साल राहु और केतु राशि परिवर्तन करेंगे। राहु-केतु के राशि परिवर्तन से दो राशि के जातकों को अगले साल सावधान रहने की आवश्यकता है। लेकिन क्या आपको पता है कि कुंडली में कब और कैसे अनंत कालसर्प योग (Anant Kaal Sarp Yog) बनता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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अनंत कालसर्प दोष
कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को जीवन में ढेर सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं, अनंत कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को शुभ कार्यों में असफलता मिलती है। वहीं, जीवन में अकल्पनीय घटना होती है। जातक मानसिक तनाव और चिंता से परेशान रहता है। जातक को कारोबार में बड़ा नुकसान भी होता है। परिवार में क्लेश रहता है। इस दोष से पीड़ित जातक लालची हो जाता है।
कब बनता है अनंत कालसर्प दोष?
ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में बारह भाव हैं। राहु के लग्न भाव और केतु के जीवनसाथी भाव में रहने के साथ-साथ सभी शुभ और अशुभ ग्रह इन दोनों ग्रहों के मध्य उपस्थित रहने पर कुंडली में अनंत कालसर्प दोष लगता है। अनंत कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
उपाय
ज्योतिषियों का मत है कि स्पष्ट राहु और केतु के रहने पर निवारण कराना श्रेष्ठकर होता है। वहीं, आंशिक रूप से पीड़ित जातक भगवान शिव की पूजा कर कालसर्प दोष से निजात पा सकता है। इसके लिए रोजाना स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल में काले तिल और जौ मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। रोजाना पूजा के समय महामृत्युंजय मंत्र का जप करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें। जरूरतमंदों को धन का दान करें। साथ ही रोजाना विष्णु चालीसा का पाठ करें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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