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    Kaal Bhairav Jayanti 2023: आज पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, दूर होंगे सभी दुख और संताप

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 05 Dec 2023 07:00 AM (IST)

    धार्मिक मत है कि काल भैरव देव की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साधक नजर उतारने और नकारात्मक शक्ति को दूर करने के लिए भी काल भैरव की उपासना करते हैं। अगर आप भी विशेष कार्यों में सफलता पाना चाहते हैं तो आज विधि-विधान से काल भैरव देव की पूजा करें।

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    Kaal Bhairav Jayanti 2023: आज पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, दूर होंगे सभी दुख और संताप

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kaal Bhairav Jayanti 2023: आज काल भैरव जयंती है। इस शुभ अवसर पर देश भर में काल भैरव की विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष महीने में मनाया जाता है। धार्मिक मत है कि काल भैरव देव की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। साधक नजर उतारने और नकारात्मक शक्ति को दूर करने के लिए भी काल भैरव की उपासना करते हैं। अगर आप भी विशेष कार्यों में सफलता पाना चाहते हैं, तो आज विधि-विधान से काल भैरव देव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय काल भैरव तांडव स्तोत्र का पाठ करें। इस स्तोत्र के पाठ से साधक के जीवन में व्याप्त सभी दुख दूर हो जाते हैं।

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    काल भैरव तांडव स्तोत्र

    ॐ चण्डं प्रतिचण्डं करधृतदण्डं कृतरिपुखण्डं सौख्यकरम् ।

    लोकं सुखयन्तं विलसितवन्तं प्रकटितदन्तं नृत्यकरम् ।।

    डमरुध्वनिशंखं तरलवतंसं मधुरहसन्तं लोकभरम् ।

    भज भज भूतेशं प्रकटमहेशं भैरववेषं कष्टहरम् ।।

    चर्चित सिन्दूरं रणभूविदूरं दुष्टविदूरं श्रीनिकरम् ।

    किँकिणिगणरावं त्रिभुवनपावं खर्प्परसावं पुण्यभरम् ।।

    करुणामयवेशं सकलसुरेशं मुक्तशुकेशं पापहरम् ।

    भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्री भैरववेषं कष्टहरम् ।।

    कलिमल संहारं मदनविहारं फणिपतिहारं शीध्रकरम् ।

    कलुषंशमयन्तं परिभृतसन्तं मत्तदृगृन्तं शुद्धतरम् ।।

    गतिनिन्दितहेशं नरतनदेशं स्वच्छकशं सन्मुण्डकरम् ।

    भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्रीभैरववेशं कष्टहरम् ।।

    कठिन स्तनकुंभं सुकृत सुलभं कालीडिँभं खड्गधरम् ।

    वृतभूतपिशाचं स्फुटमृदुवाचं स्निग्धसुकाचं भक्तभरम् ।।

    तनुभाजितशेषं विलमसुदेशं कष्टसुरेशं प्रीतिनरम् ।

    भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्रीभैरववेशं कष्टहरम् ।।

    ललिताननचंद्रं सुमनवितन्द्रं बोधितमन्द्रं श्रेष्ठवरम् ।

    सुखिताखिललोकं परिगतशोकं शुद्धविलोकं पुष्टिकरम् ।।

    वरदाभयहारं तरलिततारं क्ष्युद्रविदारं तुष्टिकरम् ।

    भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्रीभैरववेषं कष्टहरम् ।।

    सकलायुधभारं विजनविहारं सुश्रविशारं भृष्टमलम् ।

    शरणागतपालं मृगमदभालं संजितकालं स्वेष्टबलम् ।।

    पदनूपूरसिंजं त्रिनयनकंजं गुणिजनरंजन कुष्टहरम् ।

    भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्री भैरव वेषं कष्टहरम् ।।

    मदयिँतुसरावं प्रकटितभावं विश्वसुभावं ज्ञानपदम् ।

    रक्तांशुकजोषं परिकृततोषं नाशितदोषं सन्मंतिदमम् ।।

    कुटिलभ्रकुटीकं ज्वरधननीकं विसरंधीकं प्रेमभरम् ।

    भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्रीभैरववेषं कष्टहरम् ।।

    परिर्निजतकामं विलसितवामं योगिजनाभं योगेशम् ।

    बहुमधपनाथं गीतसुगाथं कष्टसुनाथं वीरेशम् ।।

    कलयं तमशेषं भृतजनदेशं नृत्य सुरेशं वीरेशम् ।

    भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्रीभैरववेषं कष्टहरम् ।।

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    डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'