Kalashtami 2023: काल भैरव जयंती पर इस शुभ मुहूर्त में करें महादेव का रुद्राभिषेक, दूर हो जाएंगे दुख और संताप
पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 4 दिसंबर को रात 09 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और 06 दिसंबर को देर रात 12 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः साधक 05 दिसंबर के दिन काल भैरव के निमित्त व्रत रख विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kalashtami 2023: हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष 05 दिसंबर को काल भैरव जयंती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि अंधकासुर के वध हेतु भगवान शिव ने काल भैरव का अवतार धारण किया था। प्रकांड पंडितों की मानें तो मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यान के समय में भगवान शिव ने काल भैरव देव का रूप धारण किया था। धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख, संकट, रोग, भय, काल और कष्ट दूर हो जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से काल भैरव देव की पूजा करते हैं। इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व है। आइए, देवों के देव महादेव के रुद्राभिषेक का शुभ मुहूर्त एवं समय जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 4 दिसंबर को रात 09 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और 06 दिसंबर को देर रात 12 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः साधक 05 दिसंबर के दिन काल भैरव के निमित्त व्रत रख विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं।
रुद्राभिषेक हेतु समय
ज्योतिषियों की मानें तो देवों के देव महादेव, जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के साथ रहेंगे। इस समय में भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना बेहद शुभ होता है। इस शुभ मुहूर्त में भगवान शिव का अभिषेक करने से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। काल भैरव जयंती तिथि पर 06 दिसंबर को देर रात 12 बजकर 37 मिनट तक भगवान शिव, माता गौरी के साथ रहेंगे। काल भैरव देव की पूजा निशा काल में होती है। अतः निशा काल में भी भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर सकते हैं।
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