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    Jagannath Rath Yatra 2025: कब से शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा, क्या है इसका धार्मिक महत्व?

    Updated: Sat, 04 Jan 2025 01:33 PM (IST)

    भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) की शुरुआत के लिए भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं। हर साल इस यात्रा की शुरुआत आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होती है। इस दौरान बेहद भव्य नजारा देखने को मिलता है। भगवान जगन्नाथ के रथ को सुंदर तरीके से बनाया जाता है। आइए जानते हैं कि साल 2025 में कब से शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा।

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    Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Jagannath Rath Yatra 2025: हर साल आषाढ़ माह में ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ रथ की यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा में अधिक संख्या में भक्त शामिल होते हैं। यात्रा के दौरान तीन रथों पर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र विराजमान होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) में शामिल या प्रभु के दर्शन करने से व्यक्ति को सभी पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए इस आर्टिकल में जानते हैं जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में।

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    इस दिन से शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा

    हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 26 जून को दोपहर 01 बजकर 25 मिनट से होगी। वहीं, तिथि का समापन 27 जून को सुबह 11 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 27 जून (Jagannath Rath Yatra Start Date) से होगी।  

    (Pic Credit-AI)

    इस वजह से निकाली जाती है रथ यात्रा

    पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर को देखने की इच्छा जताई। ऐसे में भगवान जगन्नाथ ने अपनी बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर का भ्रमण कराया। इस दौरान वह अपनी मौसी के घर भी 7 दिन तक रुके। ऐसा माना जाता जाता है कि तभी से प्रत्येक साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को निकाली जाती है।

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    भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्त्व 

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra Significance) में शामिल होने से व्यक्ति के पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही रथ को खींचने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस रथ यात्रा में सबसे आगे बलराम जी का रथ, बीच में बहन सुभद्रा और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ जी का रथ चलता है।

    जगन्नाथ रथ यात्रा की खासियत

    भगवान जगन्नाथ रथ की आपको खास बात दें कि रथ को बनाने के लिए कील का प्रयोग नहीं किया जाता है, क्योंकि शास्त्रों के मुताबिक आध्यात्मिक काम के लिए कील या कांटे का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। भगवान बलराम और देवी सुभद्रा का रथ लाल रंग का होता है और भगवान जगन्नाथ का रथ पीला या लाल रंग का होता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।