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    साल 2025 में कब मनाई जाएगी होली? एक क्लिक में जानें सही डेट और मुहूर्त

    Updated: Mon, 02 Dec 2024 12:53 PM (IST)

    हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होली का पर्व मनाया जाता है जिसका इंतजार लोग पूरे साल बेसब्री से करते हैं। इस दिन लोग भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा करते हैं। कहते हैं इस मौके (Holi 2025 Date) पर राधा-कृष्ण की पूजा से घर में खुशहाली आती है तो चलिए इसकी सही डेट जानते हैं।

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    Holi 2025 Shubh Muhurat: 2025 में होली कब है?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में रंगों के त्योहार होली का विशेष महत्व है। इस पर्व को लोग हर साल अपने परिवार और दोस्तों के साथ भव्यता के साथ मनाते हैं। यह पर्व दिवाली के बाद भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, जो बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसे धुलंडी और धुलेंडी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस पर्व को मनाने की शुरुआत श्रीकृष्ण और राधा रानी के काल से ही हुई थी, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

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    वहीं, हर किसी के मन में होली की डेट (Holi 2025 Date) को लेकर मन में कन्‍फ्यूजन बनी हुई है कि आखिर यह पर्व (When Is Holi 2025 In India) कब मनाया जाएगा? तो आइए इसकी डेट जानते हैं।

    2025 में होली कब है? (Holi 2025 Shubh Muhurat)

    होली का पर्व हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को बहुत धूमधूाम के साथ मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2025 में होली का त्योहार14 मार्च को मनाया जाएगा, क्योंकि फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि की 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगा। वहीं, होलिका दहन (Holika Dahan Kab Hai 2025) 13 मार्च को रात 10 बजकर 30 मिनट के बाद ही किया जाएगा।

    ऐसे मनाएं होली का पर्व (Holi 2025 Rituals)

    ब्रज क्षेत्र, जिसमें मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, गोकुल, नंदगांव और बरसाना शामिल हैं, भगवान कृष्ण से जुड़े हुए हैं और होली के त्योहार के भव्य उत्सव के स्थल हैं। विश्व प्रसिद्ध होली समारोहों में वृन्दावन की फूलवाली होली और बरसाना की पारंपरिक होली लठमार होली शामिल है। यह पर्व दो दिनों तक मनाया जाता है, रंगवाली होली, जिसे धुलंडी के नाम से जाना जाता है, और छोटी होली, जिसे होलिका दहन कहा जाता है। होलिका दहन पर, लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में अलाव जलाते हैं।

    फिर अगले दिन जल्दी उठकर रंग व गुलाल खेलते हैं। कहते हैं कि इस दिन राधा रानी और भगवान कृष्ण की पूजा जरूर करनी चाहिए। इसलिए इस मौके पर उनकी पूजा विधिवत करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।