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    Jagannath Rath Yatra 2025: क्यों भगवान जगन्नाथ के रथ की रस्सी मानी जाती है बेहद पवित्र? जिसे छूने से कट जाते हैं सभी पाप

    Updated: Thu, 03 Jul 2025 12:30 PM (IST)

    जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) बहुत पावन मानी जाती है। यह भगवान जगन्नाथ को समर्पित है। इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून 2025 शुक्रवार से प्रारंभ हुई है। कहा जाता है कि इसका हिस्सा बनने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं तो आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातें जानते हैं जो इस प्रकार हैं।

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    Jagannath Rath Yatra 2025: बाबा जगन्नाथ के रथ की रस्सी का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जगन्नाथ रथ यात्रा देश के सबसे बड़े धार्मिक अनुष्ठानों में से एक मानी जाती है। यह हर साल ओडिशा के पुरी में बड़ी धूमधाम से आयोजित की जाती है। यह पावन यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) इस साल 27 जून को शुरू हुई है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपने मौसी यानी गुंडिचा मन्दिर जाते हैं। इस दौरान उनके विशाल रथों को हजारों भक्त श्रद्धापूर्वक खींचते हैं।

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    इस यात्रा में रथों की रस्सियों को छूना या खींचना बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

    क्यों इतनी पवित्र मानी जाती है बाबा जगन्नाथ के रथ की रस्सी?

    भगवान जगन्नाथ के रथ की रस्सियां भक्तों के लिए दिव्य आशीर्वाद (Jagannath Rath Yatra significance) का प्रतीक हैं। इन रस्सियों को छूने या खींचने के पीछे कई गहरी मान्यताएं हैं आइए जानते हैं -

    • भगवान से सीधा जुड़ाव - भक्तों का मानना है कि रथ की रस्सी को छूना स्वयं भगवान जगन्नाथ को छूने के समान है। यह एक ऐसा पल है, जब भक्त सीधे भगवान से जुड़ सकते हैं और उनकी कृपा पा सकते हैं। यह भौतिक दूरी को मिटाकर सीधे बाबा से जुड़ने का मौका देती है।
    • मोक्ष की प्राप्ति - शास्त्रों में बताया गया है कि जो साधक सच्चे मन से भगवान के रथ की रस्सी को खींचते हैं, या छूते हैं, उन्हें जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही ये काम हजारों साल की तपस्या के समान माना जाता है।
    • पापों का नाश - ऐसी मान्यता है कि रथ की रस्सी को छूने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और पिछले जन्मों के बुरे कर्मों से भी मुक्ति मिलती है। यह एक तरह का आध्यात्मिक शुद्धि का साधन भी माना जाता है।
    • भक्ति का प्रतीक - लाखों भक्त लंबी कतारों में खड़े होकर इस पवित्र रस्सी को छूने या खींचने के अवसर का इंतजार करते हैं। यह उनकी अटूट श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। इसके साथ ही यह उनके भगवान के प्रति समर्पण और प्रेम को दिखाती है।
    • मानवता की एकता - रथ यात्रा में किसी भी जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति का व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के रथों को खींच सकता है। यह रस्सियां ​​सभी भक्तों को एक साथ लाती हैं, जो पूरी दुनिया को एकता और समानता का संदेश भी देती हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।