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    Jagannath Rath Yatra 2025: सबसे पहले मजार के सामने क्यों रुकती है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा?

    Updated: Sat, 28 Jun 2025 12:32 PM (IST)

    पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) एक धार्मिक अनुष्ठान से बढ़कर एकता का प्रतीक है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ बलभद्र और सुभद्रा के रथ सालबेग की मजार के सामने रुकते हैं जो एक मुस्लिम भक्त थे। हालांकि इसके पीछे की पूरी कथा बेहद खास है जिसका जिक्र हम इस आर्टिकल में करेंगे।

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    Jagannath Rath Yatra 2025: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से जुड़ी कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पुरी की विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एकता और भक्ति का एक अनूठा संगम है। इस भव्य यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) के दौरान, भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथ एक विशेष स्थान पर यानी उनके एक मुस्लिम भक्त, सालबेग की मजार के सामने रुकते हैं। यह एक ऐसी परंपरा है, जो सदियों से चली आ रही है और इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है, तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं।

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    क्यों मजार के सामने रुकती है?

    एक समय की बात है सालबेग नामक एक मुगल सूबेदार के बेटे थे। एक बार वह किसी काम से पुरी आए जहां उन्होंने भगवान जगन्नाथ की महिमा सुनी, तो उनके मन में भी यह इच्छा जागी कि वे भगवान के दर्शन करें। मुस्लिम होने के कारण सालबेग को पुरी के जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश नहीं मिला। हालांकि, इस बाधा ने उनकी भक्ति को कम नहीं किया। वह भगवान जगन्नाथ के भजन और कीर्तन लिखते और गाते रहे।

    सालबेग बीमार पड़ गए

    कहा जाता है कि एक बार सालबेग बीमार पड़ गए और उन्होंने भगवान जगन्नाथ से शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की ताकि वे उनकी रथ यात्रा में शामिल हो सकें। जब रथ यात्रा शुरू हुई और सालबेग मंदिर नहीं पहुंच पाए, तो भगवान जगन्नाथ का रथ उनकी ही कुटिया के सामने आकर अचानक रुक गया। लाख कोशिशों के बाद भी रथ एक इंच भी नहीं हिला।

    राजा और मंदिर के पुजारी बहुत परेशान हो गए। तब मुख्य पुजारी को एक सपना आया, जिसमें भगवान जगन्नाथ ने बताया कि ''वे अपने प्रिय भक्त सालबेग का इंतजार कर रहे हैं।''

    सात दिनों तक रथ वहीं रुका रहा

    सात दिनों तक रथ वहीं रुका रहा, और मंदिर के सभी अनुष्ठान रथ पर ही किए गए। जब सालबेग ठीक होकर भगवान के दर्शन किए, तब जाकर रथ आगे बढ़ा। यह घटना इस बात का प्रमाण थी कि भगवान की नजर में जाति, पंथ या धर्म का कोई भेद नहीं होता है, उनके लिए केवल सच्ची भक्ति ही मायने रखती है।

    आज भी है ये अनूठी परंपरा

    सालबेग की इस अनूठी भक्ति को सम्मान देने के लिए, हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ भक्त सालबेग की मजार के सामने कुछ देर के लिए रुकते हैं। यह ठहराव न केवल सालबेग को श्रद्धांजलि है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भगवान की कृपा और प्यार सभी के लिए समान है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।