Karwa Chauth 2025: न हो परेशान! करवा चौथ पर चांद नहीं दिखे, तो इस विधि से खोलें व्रत, पूरी होगी हर मनचाही मुराद
करवा चौथ के दिन (Karwa Chauth 2025) व्रत समय प्रातः काल 06 बजकर 19 मिनट से लेकर शाम 08 बजकर 13 मिनट तक है।सरगी प्राप्त करने के बाद व्रती चंद्र उदय तक व्रत रखेंगी। वहीं, चंद्र दर्शन का शुभ समय शाम 08 बजकर 13 मिनट पर है। इस समय चंद्र दर्शन कर महिलाएं व्रत खोलेंगी।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 10 अक्टूबर को करवा चौथ है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत की महिमा का वर्णन शास्त्रों में विस्तारपूर्वक दिया गया है। इस व्रत को करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही व्रती को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
इस व्रत की शुरुआत सरगी से होती है। इसमें महिलाएं सूर्योदय से पहले सास द्वारा दी गई सरगी की थाली खाकर व्रत शुरू करती हैं। इसके बाद दिन भर (चंद्र उदय तक) निर्जला व्रत रखती हैं।
संध्या काल में स्नान-ध्यान कर नवीन वस्त्र धारण करती हैं। इसके बाद करवा माता और भगवान गणेश की पूजा करती हैं। इस समय करवा चौथ की कथा का पाठ करती हैं। वहीं, चंद्रोदय के बाद चंद्र देव की पूजा करती हैं। इस समय चंद्र देव को जल का अर्घ्य देती हैं। इसके बाद छलनी से पहले चंद्र देव का दर्शन करती हैं और फिर पति को देख व्रत खोलती हैं।
हालांकि, कई बार खराब मौसम के चलते चंद्र देव का दर्शन दुर्लभ हो जाता है। ऐसी स्थिति में व्रती घबरा जाती हैं कि कैसे व्रत खोला जाएं? आइए जानते हैं कि करवा चौथ (Karwa Chauth 2025) पर चांद न दिखाई देता है, तो कैसे व्रत खोलें?
कैसे खोलें व्रत?
आसमान साफ रहने पर शास्त्र द्वारा निर्धारित नियम अनुसार चंद्र देव की पूजा कर व्रत खोलें। वहीं, चंद्रमा के न दिखने पर (मौसम साफ न होने पर) चंद्रोदय के समय (Karwa Chauth Moon Rising) चंद्र देव को जल का अर्घ्य दें और विधिवित पूजा करें। आप चाहे तो भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान चंद्र देव के दर्शन कर भी व्रत को पूर्ण कर सकती हैं।
इसके लिए दिशा और समय ज्ञात कर भक्ति भाव से चंद्र देव को जल का अर्घ्य दें। इस समय छलनी से चंद्र देव के दर्शन करें। इसके बाद छलनी से पति को देखकर व्रत खोलें। यदि घर में भगवान शिव की प्रतिमा नहीं है, तो छत पर एक चौकी पर चावल या शुद्ध आटा से चांद की आकृति बनाएं। इसके बाद विधि-विधान से चंद्र देव की पूजा करें।
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