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    Karwa Chauth 2025: करवा चौथ पर चलनी से पति और चांद को निहारती हैं सुहागिनें

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 03:04 PM (IST)

    हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिनें करवा चौथ का व्रत रखती हैं। इस दिन, महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और कुशलता के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और माता पार्वती सहित पूरे शिव परिवार की पूजा करती हैं। इस व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व है। रात में चंद्रोदय के बाद, महिलाएं चंद्रमा को जल अर्पित करती हैं और चलनी से चंद्रमा और अपने पति का चेहरा देखती हैं।

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    करवा चौथ की तैयारी मं जुटीं सुहागिनें।

    मुक्तिनाथ पांडेय, काराकाट (रोहतास)। प्रतिवर्ष कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिनों द्वारा करवा चौथ का व्रत रखने की पुरानी परंपरा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष यह व्रत दस अक्टूबर शुक्रवार को मनाया जाएगा।

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    इस दिन सुहागिनें अपने पति की सलामती और दीर्घायु होने की कामना के साथ दिन भर निर्जला उपवास रख माता पार्वती सहित पूरे शिव परिवार की आराधना करती हैं।

    इस व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है। चंद्रोदय के पश्चात ही रात्रि के समय व्रत तोड़ा जाता है। व्रती पहले चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करती हैं। तत्पश्चात चलनी से चंद्रमा के साथ पति का चेहरा निहारती हैं।

    कब है करवा चौथ

    पंडित ललन त्रिपाठी व एमएन पांडेय के अनुसार इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा। चतुर्थी तिथि का आगमन नौ अक्टूबर गुरुवार की रात 2.49 बजे हो रहा है जो 10 अक्टूबर शुक्रवार की रात 12.24 बजे तक रहेगा।

    इस व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है। 10 अक्टूबर की रात 7.58 बजे के बाद चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान किया जाएगा। महिलाएं इस दिन कठिन व्रत का पालन करती हैं और विधिवत पूजा-अर्चना कर पति की लंबी आयु, सौभाग्य व सलामती की कामना करती हैं।

    चलनी से करती हैं चन्द्रमा और पति का दर्शन

    इस व्रत के अंत में महिलाएं चंद्रमा और अपने पति का प्रत्यक्ष दर्शन न कर चलनी से दर्शन करती हैं। मान्यता है कि चलनी में हजारों छेद होते हैं, जिससे चांद के छेदों की संख्या जितने प्रतिबिंब दिखते हैं।

    अब चलनी से पति को देखती हैं तो उनकी आयु भी उतनी गुणा बढ़ जाती है। इस दिन शिव, भगवान गणेश और कार्तिकेय की भी पूजा होती है,लड़कीं प्रधानता चन्द्रमा की होती है। चंद्रमा को पुरुष रूपी ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है।

    पहली बार माता पार्वती ने किया था करवा चौथ

    पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पहली बार माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए यह व्रत रखा था।माता सीता ने भी भगवान श्रीराम के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। तब से सुहागिनें अखण्ड सौभाग्य हेतु इस व्रत का पालन करती हैं।