Rahu Mahadasha: कितने साल तक चलती है राहु की महादशा और कैसे करें मायावी ग्रह को प्रसन्न?
सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त सोमवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। भगवान शिव की पूजा करने से राहु (Rahu Mahadasha) प्रसन्न होते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को मायावी ग्रह कहा जाता है। राहु और केतु दोनों ही वक्री चाल चलते हैं। दोनों एक राशि में डेढ़ साल तक रहते हैं। वर्तमान समय में राहु मीन राशि में विराजमान हैं। वहीं, केतु कन्या राशि में उपस्थित हैं। जल्द ही दोनों ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे। राहु और केतु के राशि परिवर्तन करने से मीन और कन्या राशि के जातकों को मायावी ग्रह से मुक्ति मिल जाएगी।
ज्योतिष राहु और केतु की कुदृष्टि से बचाव के लिए भगवान शिव की पूजा करने की सलाह देते हैं। इसके लिए सोमवार और शनिवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद भक्ति भाव से पूजा करें। वहीं, पूजा के समय काले तिल मिश्रित गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से राहु और केतु की बुरी नजरों से मुक्ति मिलती है। लेकिन क्या आपको पता है कि राहु की महादशा कितने साल तक चलती है और कैसे मायावी ग्रह को प्रसन्न करें? आइए जानते हैं-
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शुक्र की महादशा
ज्योतिषियों की मानें तो राहु की महादशा 18 साल तक चलती है। इस दौरान सबसे पहले राहु की अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा चलती है। इस दौरान जातक को राहु उच्च में रहने पर शुभ फल मिलता है। वहीं, नीच राहु से कभी-कभार मनमुताबिक सफलता नहीं मिलती है। वहीं, सूर्य, चंद्र और गुरु की अंतर्दशा में राहु शुभ फल नहीं देते हैं।
इसके बाद क्रमश: शुभ और अशुभ ग्रहों की अंतर्दशा एवं प्रत्यंतर दशा चलती है। राहु की अंतर्दशा दो साल आठ महीने तक रहती है। इसके बाद गुरु की अंतर्दशा चलती है। राहु की महादशा में अच्छे कर्म करने पर जातक को शुभ फल मिलता है। राहु की कृपा से जातक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
राहु देव को कैसे प्रसन्न करें?
राहु को प्रसन्न करने के लिए सोमवार और शुक्रवार के दिन देवों के देव महादेव की पूजा करें। पूजा के समय भगवान शिव का अभिषेक करें। आप चाहे तो गंगाजल से भी भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं। इसके अलावा, गंगाजल में काले तिल मिलाकर भी भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं।
शनिवार के दिन बहती जलधारा में नारियल प्रवाहित करें। इसके साथ ही सोमवार के दिन सफेद रंग की चीजों का दान करें। इन चीजों के दान से कुंडली में राहु ग्रह मजबूत होता है। रोजाना राहु मंत्र का जप करें।
शिव मंत्र
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।
2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
3. ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
5. करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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