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    Sheshnag Kaal Sarp Dosh: कुंडली में कैसे बनता है शेषनाग कालसर्प दोष? इन उपायों से करें दूर

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 29 Apr 2024 01:07 PM (IST)

    Sheshnag Kaal Sarp Dosh कुंडली में बारह भाव होते हैं। इन भावों में ग्रहों की स्थिति के अनुसार फल प्राप्त होता है। कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव के चलते कई प्रकार के दोष लगते हैं। इनमें एक कालसर्प दोष है जो राहु-केतु के मध्य सभी शुभ और अशुभ ग्रहों के रहने पर लगता है। कालसर्प दोष के कई प्रकार हैं।

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    Sheshnag Kaal Sarp Dosh: कुंडली में कैसे बनता है शेषनाग कालसर्प दोष? इन उपायों से करें दूर

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sheshnag Kaal Sarp Dosh: सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र का विशेष महत्व है। ज्योतिष कुंडली देखकर व्यक्ति के भविष्य की गणना करते हैं। कुंडली में बारह भाव होते हैं। इन भावों में ग्रहों की स्थिति के अनुसार फल प्राप्त होता है। कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव के चलते कई प्रकार के दोष लगते हैं। इनमें एक कालसर्प दोष है, जो राहु-केतु के मध्य सभी शुभ और अशुभ ग्रहों के रहने पर लगता है। कालसर्प दोष के कई प्रकार हैं। आसान शब्दों में कहें तो बारह भावों के अनुसार कालसर्प दोष की गणना होती है। इनमें एक शेषनाग कालसर्प दोष है। आइए, इस दोष के बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    शेषनाग कालसर्प दोष

    ज्योतिषियों की मानें तो केतु के छठे भाव और राहु के द्वादश भाव में रहने और सभी शुभ और अशुभ ग्रहों के राहु-केतु के मध्य स्थित होने पर शेषनाग कालसर्प दोष लगता है। अगर आपकी कुंडली के छठे भाव में केतु उपस्थित है और बारहवें भाव में राहु उपस्थित है और इन दोनों ग्रहों के मध्य सभी ग्रह उपस्थित हैं, तो आप शेषनाग कालसर्प दोष से पीड़ित हैं। इस दोष से पीड़ित जातक को जीवन में ढ़ेर सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

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    शेषनाग कालसर्प दोष के प्रभाव

    शेषनाग कालसर्प दोष से पीड़ित जातक हमेशा अशांत रहता है। इस भाव में रहने के चलते व्यक्ति हमेशा वाद-विवाद में फंसा रहता है। कई बार कोर्ट कचहरी का भी चक्कर लगाना पड़ जाता है। पीड़ित जातक को गुस्सा अधिक आता है। कई अवसर पर जातक को बदनामी का दंश भी झेलना पड़ता है।

    शेषनाग कालसर्प दोष के उपाय

    • ज्योतिषियों की मानें तो शेषनाग कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को उज्जैन स्थित महाकालेश्वर या त्र्यंबकेश्वर मंदिर में निवारण कराना श्रेष्ठकर होता है। इसके लिए सोमवार, मासिक शिवरात्रि या महाशिवरात्रि तिथि का चयन कर सकते हैं। इसके अलावा, सोमवती अमावस्या तिथि पर भी दोष निवारण करा सकते हैं।
    • शेषनाग कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को रोजाना शिवजी की पूजा करनी चाहिए। इसके लिए रोजाना स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल या सामान्य जल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें।
    • अगर आप शेषनाग कालसर्प दोष से निजात पाना चाहते हैं या इसके प्रभाव को कम करना चाहते हैं, तो पूर्णिमा एवं अमावस्या तिथि पर काले कंबल का दान करें।
    • भगवान विष्णु की पूजा करने से भी कालसर्प दोष का प्रभाव खत्म होता है। इसके लिए संभव हो तो रोजाना स्नान-ध्यान के बाद पीपल के पेड़ में जल का अर्घ्य दें। साथ ही सात बार परिक्रमा करें। महामृत्युंजय मंत्र के जप से भी कालसर्प दोष का प्रभाव खत्म हो जाता है।

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    डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'