Surya Grahan 2025 Time: कितनी देर तक रहेगा आज रात का ग्रहण? यहां जानें शुरू और समाप्त होने का समय
सनातन धर्म में सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2025 Time) का खास महत्व है। ग्रहण के दौरान देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को स्पर्श न करें। इसके साथ ही घर से अनावश्यक बाहर न निकलें। ग्रहण के दौरान भगवान शिव के नामों का जप करें। वहीं ग्रहण के बाद स्नान-ध्यान कर भगवान शिव की पूजा करें।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, रविवार 21 सितंबर यानी आज आश्विन अमावस्या है। हर साल आश्विन अमावस्या के दिन सर्व पितरों का तर्पण किया जाता है। इसके बाद पितृ अपने लोक लौट जाते हैं। सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2025 Time) का भी साया है। हालांकि, सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसके लिए सूतक भी मान्य नहीं रहने वाला है।
सनातन शास्त्रों में निहित है कि ग्रहण के दौरान मायावी ग्रह राहु और केुत या कारात्मक शक्तियों का बल या प्रभाव पृथ्वी लोक पर बहुत बढ़ जाता है। इसके लिए ग्रहण के दौरान शुभ काम करने की मनाही होती है। साथ ही ग्रहण दिखाई देने पर सूतक काल से ग्रहण समाप्त होने तक खानपान से परहेज करना चाहिए। लेकिन क्या आपको पता है कि कितनी देर तक आज रात का सूर्य ग्रहण रहेगा? आइए, ग्रहण के बारे में सबकुछ जानते हैं-
सूतक
ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य या चंद्र ग्रहण दिखाई देने पर सूतक मान होता है। ग्रहण नहीं दिखाई देने पर सूतक मान नहीं होता है। सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसका मतलब यह है कि ग्रहण से पूर्व यानी पहले भोजन ग्रहण (रात का भोजन) कर सकते हैं। सूर्य ग्रहण दिखाई देने पर सूतक 12 घंटे का मान होता है, जो ग्रहण से चार प्रहर पहले शुरू होता है। वहीं, चंद्र ग्रहण के दिन सूतक तीन प्रहर का होता है।
कब से शुरू होगा ग्रहण?
भारतीय समयानुसार रात 10 बजकर 59 मिनट से सूर्य ग्रहण शुरू होगा। वहीं, देर रात 03 बजकर 23 मिनट पर सूर्य ग्रहण समाप्त होगा। सूर्य ग्रहण 4 घंटे 24 मिनट तक चलेगा। ग्रहण न दिखाई देने या सूतक न लगने के बावजूद ग्रहण के दौरान शास्त्र सम्मत नियमों का पालन जरूर करें। वहीं, राहु और केतु के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए ग्रहण के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। इस मंत्र के जप से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
इन मंत्रों का जप करें
1. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
2. नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।।
3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
4. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
5. ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः॥
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