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    Holi 2025 Date: मार्च महीने में कब मनाया जाएगा रंगों का त्योहार होली? एक क्लिक में नोट करें सही तारीख

    हर साल होली के अगले दिन से चैत्र महीने की शुरुआत होती है। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से हिंदी नववर्ष (Holi 2025 Date) की शुरुआत होती है। होली का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर देशभर में उत्साह और उमंग का माहौल रहता है। लोग एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 20 Jan 2025 09:01 PM (IST)
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    Holi 2025 Date: कब और क्यों मनाई जाती है होली?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में फाल्गुन महीने का विशेष महत्व है। यह महीना देवों के देव महादेव समर्पित होता है। इस महीने में महाशिवरात्रि मनाई जाती है। हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इसके पंद्रह दिन बाद होली मनाई जाती है। आसान शब्दों में कहें तो फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होली (When Is Holi 2025 In India) मनाई जाती है।

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    इससे एक दिन पूर्व होलिका दहन मनाया जाता है। होली से आठ दिन पूर्व होलाष्टक लगता है। होलाष्टक के दौरान शुभ काम नहीं किया जाता है। होली का त्योहार देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर लोग द्वेष भावना भूलाकर एक दूसरे को रंग एवं गुलाल लगाते हैं। आइए, होली (Holi 2025 Date) की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं।

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    2025 में होली कब है? (Holi 2025 Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर होगी। वहीं, 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर पूर्णिमा तिथि की समाप्ति होगी। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय का समय शाम 06 बजकर 38 मिनट पर होगा। फाल्गुन पूर्णिमा उपवास 13 मार्च को रखा जाएगा। वहीं, 14 मार्च को होली मनाई जाएगी।

    कब है होलिका दहन?

    ज्योतिषियों की मानें तो होलिका दहन 13 मार्च को देर रात होलिका दहन मुहूर्त 11 बजकर 26 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 30 मिनट तक है। इस दौरान होलिका दहन किया जाएगा। इस दिन भद्रा पूँछ शाम 06 बजकर 57 मिनट से लेकर 08 बजकर 14 मिनट तक है। वहीं, भद्रा मुख शाम 08 बजकर 14 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट तक है।

    होली शुभ योग

    फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि पर शिववास योग का संयोग बन रहा है। इस शुभ दिन पर देवों के देव महादेव कैलाश पर मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे। इसके साथ ही उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का संयोग बन रहा है। वहीं, बव एव बालव करण के योग हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।