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    Hanuman Ji Mantra: हनुमान जी की पूजा करते समय करें इन मंत्रों का जप, चमक उठेगा सोया भाग्य

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 14 Apr 2025 09:00 PM (IST)

    वैदिक पंचांग के अनुसार मंगलवार 15 अप्रैल को वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है। इस शुभ अवसर पर वीर बजरंगी की भक्ति भाव से पूजा की जाएगी। साथ ही सुंदरकांड का पाठ किया जाएगा। भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी (Hanuman Ji Mantra) के शरणागत रहने वाले साधकों को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

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    Hanuman Ji Mantra: हनुमान जी को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में मंगलवार का दिन राम भक्त हनुमान जी को प्रिय है। इस दिन राम परिवार संग हनुमान जी की पूजा की जाती है। साथ ही मंगलवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक पर हनुमान जी की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है।

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    ज्योतिष भी जॉब में सफलता पाने के लिए हनुमान जी की पूजा करने की सलाह देते हैं। इसके लिए साधक मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी की विशेष पूजा करते हैं। साथ ही हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करते हैं। अगर आप भी हनुमान जी की कृपा पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

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    मंगलवार मंत्र

    1. अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्

    दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।

    सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्

    रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।

    2. ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः

    3. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय

    प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।

    4. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय रामसेवकाय

    रामभक्तितत्पराय रामहृदयाय लक्ष्मणशक्ति

    भेदनिवावरणाय लक्ष्मणरक्षकाय दुष्टनिबर्हणाय रामदूताय स्वाहा।

    5. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहरणाय

    सर्वरोगहराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।

    6. ॐ ह्रां ह्रीं रां रामाय नमः॥

    7. राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।

    सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने ।।

    8. ॐ जानकीकांत तारक रां रामाय नमः॥

    9. ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम ,

    लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !

    श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे,

    रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !

    10. ॐ दाशरथये विद्महे जानकी वल्लभाय धी महि तन्नो रामः प्रचोदयात् ॥

    रामाष्टक

    सुग्रीवमित्रं परमं पवित्रं सीताकलत्रं नवमेघगात्रम् ।

    कारुण्यपात्रं शतपत्रनेत्रं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि ॥

    संसारसारं निगमप्रचारं धर्मावतारं हृतभूमिभारम् ।

    सदाविकारं सुखसिन्धुसारं श्रीरामचद्रं सततं नमामि ॥

    लक्ष्मीविलासं जगतां निवासं लङ्काविनाशं भुवनप्रकाशम् ।

    भूदेववासं शरदिन्दुहासं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि ॥

    मन्दारमालं वचने रसालं गुणैर्विशालं हतसप्ततालम् ।

    क्रव्यादकालं सुरलोकपालं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि ॥

    वेदान्तगानं सकलैः समानं हृतारिमानं त्रिदशप्रधानम् ।

    गजेन्द्रयानं विगतावसानं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि ॥

    श्यामाभिरामं नयनाभिरामं गुणाभिरामं वचनाभिरामम् ।

    विश्वप्रणामं कृतभक्तकामं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि ॥

    लीलाशरीरं रणरङ्गधीरं विश्वैकसारं रघुवंशहारम् ।

    गम्भीरनादं जितसर्ववादं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि ॥

    खले कृतान्तं स्वजने विनीतं सामोपगीतं मनसा प्रतीतम् ।

    रागेण गीतं वचनादतीतं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि ॥

    श्रीरामचन्द्रस्य वराष्टकं त्वां मयेरितं देवि मनोहरं ये ।

    पठन्ति शृण्वन्ति गृणन्ति भक्त्या ते स्वीयकामान् प्रलभन्ति नित्यम् ॥

    ऋणमोचन अङ्गारकस्तोत्रम्

    रक्तमाल्याम्बरधरः शूलशक्तिगदाधरः ।

    चतुर्भुजो मेषगतो वरदश्च धरासुतः ॥

    मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः ।

    स्थिरासनो महाकायो सर्वकामफलप्रदः ॥

    लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः ।

    धरात्मजः कुजो भौमो भूमिदो भूमिनन्दनः ॥

    अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः ।

    सृष्टेः कर्ता च हर्ता च सर्वदेशैश्च पूजितः ॥

    एतानि कुजनामानि नित्यं यः प्रयतः पठेत् ।

    ऋणं न जायते तस्य श्रियं प्राप्नोत्यसंशयः ॥

    अङ्गारक महीपुत्र भगवन् भक्तवत्सल ।

    नमोऽस्तु ते ममाशेषं ऋणमाशु विनाशय ॥

    रक्तगन्धैश्च पुष्पैश्च धूपदीपैर्गुडोदनैः ।

    मङ्गलं पूजयित्वा तु मङ्गलाहनि सर्वदा ॥

    एकविंशति नामानि पठित्वा तु तदन्तिके ।

    ऋणरेखा प्रकर्तव्या अङ्गारेण तदग्रतः ॥

    ताश्च प्रमार्जयेन्नित्यं वामपादेन संस्मरन् ।

    एवं कृते न सन्देहः ऋणान्मुक्तः सुखी भवेत् ॥

    महतीं श्रियमाप्नोति धनदेन समो भवेत् ।

    भूमिं च लभते विद्वान् पुत्रानायुश्च विन्दति ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।