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    नाग पंचमी पर क्यों पीटते हैं गुड़िया, जानिए इस अनोखी परंपरा का रहस्य

    Updated: Mon, 28 Jul 2025 09:07 PM (IST)

    सावन के महीने में कई जगहों पर गुड़िया पीटने की परंपरा निभाई जाती है खासकर नाग पंचमी के दिन। इस परंपरा की कहानी एक भाई-बहन के प्यार और न्याय से जुड़ी है। एक लड़की द्वारा अनजाने में सांप की हत्या करने पर प्रायश्चित के रूप में कपड़े की गुड़िया बनाकर उसे पीटा गया। तभी से यह चलन शुरू हो गया ताकि लोगों को सांपों की रक्षा का महत्व याद रहे।

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    कपड़ों की गुड़िया बनाई जाती है और उन्हें डंडों से पीटा जाता है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन के महीन में कई जगहों पर गुड़िया पीटने (Gudiya 2025) की परंपरा भी निभाई जाती है। यह परंपरा नाग पंचमी के दिन की जाती है, जब देशभर में नागों का पूजन किया जाता है। आप सोच रहे होंगे कि नाग पूजन के पर्व में गुड़िया को पीटने का क्या कारण है। 

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    दरअसल, इसकी कहानी एक भाई-बहन के प्यार और न्याय से जुड़ी हुई है। कहते हैं कि किसी समय में एक लड़का भगवान शिव का परम भक्त हुआ करता था। वह नियमित रूप से मंदिर में जाता और भोलेनाथ का अभिषेक करता था। वहां पास में एक सांप रहता था, जो उस लड़के पास स्नेह के चलते आता था और उसके पांव से लिपट जाता था। 

    सांप को देखकर डर गई बहन 

    एक दिन वह लड़का अपनी बहन को लेकर मंदिर आया। पूजा के बाद अपनी मणि को छोड़कर सांप रोज की तरह स्नेह वश आकर उसके पैरों से लिपट गया। यह देखकर बहन डर गई। उसे लगा कि कहीं वह सांप उसके भाई को डंस न ले। 

    भाई की जान जोखिम में देखकर बहन ने पास में पड़ी लकड़ी से सांप पर हमला कर दिया। इससे पहले कि भाई अपनी बहन को रोक पाता या कुछ समझा पाता, डंडे से पिटाई की वजह से सांप की मौत हो गई। जब यह बात गांव वालों को पता चली, तो यह हुआ कि इसका प्रायश्चित करना होगा। 

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    सांपों की रक्षा का देते हैं संदेश

    मगर, गलती से हुए अपराध के लिए सच में बच्ची को सजा तो नहीं दी जा सकती थी। इसलिए कपड़े की गुड़िया बनाई गई, जिसे डंडे से पीटकर सांकेतिक रूप में सजा दी गई और यह न्याय दिया गया। तभी से सांपों की रक्षा की बात लोगों को ध्यान रहे, इस उद्देश्य से गुड़िया पीटने का चलन शुरू हो गया। 

    आज भी देश के कई हिस्सों में कपड़ों की गुड़िया बनाई जाती है और उन्हें डंडों से पीटा जाता है। इसके बाद उन गुड़ियों को पानी में विसर्जित कर दिया जाता है। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।