Nag Panchami Puja Vidhi 2025: कैसे करनी है नाग पंचमी की पूजा, नोट कीजिए विधि और सामग्री
सावन माह की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन नागों की पूजा करने से सर्प दंश का भय नहीं रहता और कुंडली में राहु-केतु दोष से राहत मिलती है। पूजा में नाग देवता की तस्वीर कच्चा दूध दही घी शहद और अन्य सामग्री का उपयोग होता है। इस दिन नागों को दूध से स्नान कराने की परंपरा है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन महीने की पंचमी तिथि इस साल 29 जुलाई 2025 को है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से सर्प दंश यानी सांपों के काटने का भय नहीं रहता है। साथ ही कुंडली में राहु-केतु के दोष सहित काल सर्प दोष जैसी परेशानियों से भी राहत मिलती है।
नाग पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:14 से 08:51 तक रहेगा। इस समय में नाग देवता की पूजा से राहु-केतु की वजह से आ रही जीवन की परेशानियां दूर हो सकती हैं। साथ ही धन-धान्य में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं कि नाग पंचमी के पूजा कैसे करनी है और इसके लिए आपको किन चीजों की जरूरत होगी…
पूजा के लिए किन चीजों की होगी जरूरत
नाग पंचमी की पूजा के लिए नाग देवता की तस्वीर या प्रतिमा की जरूरत होगी। इसके अलावा गाय का कच्चा दूध, दही, देशी घी, शहद, गंगाजल, पंचामृत, इत्र, मौली, जनेऊ, फल-फूल, सूखे मेवे, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालियां, तुलसी दल, मंदार फूल, पांच मिठाई, बेलपत्र, धतूरा, कपूर, धूप, हल्दी, रोली और अक्षत की जरूरत होगी।
ऐसे करें नाग पंचमी की पूजा
नाग पंचमी के दिन स्नान आदि करने के बाद साफ-स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद देवी-देवताओं का ध्यान करें। घर के मंदिर में एक साफ चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर उस पर नाग देवता का चित्र या फिर मिट्टी से बने हुए सर्प की मूर्ति स्थापित करें।
प्रतिमा के सामने घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद नाग देवता को उपरोक्त सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद नाग पंचमी व्रत कथा पढ़ें या सुनें और मंत्रों का जाप करें। इसके बाद नाग देवता की आरती उतारें। इस तरह नाग पंचमी की पूजा पूरी होगी।
नाग को दूध से स्नान कराएं, पिलाएं नहीं
नाग पंचमी के दिन सांपों को दूध पिलाने की परंपरा है। मगर, आपको जानकर हैरानी होगी कि सांप दूध नहीं पीते हैं। दरअसल, जब राजा जन्मेजय ने सर्प यज्ञ किया था। वह तक्षक नाग के डंसने की वजह से उनके पिता राजा परीक्षित की मृत्यु का बदला पूरे नाग वंश से लेना चाहते थे।
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इस यज्ञ के जरिये वह सभी सांपों को हवन कुंड में जलाकर भस्म कर देना चाहते थे। मगर, तब आस्तिक मुनि ने राजा जन्मेजय को इस यज्ञ को पूरा कराने से रोक दिया था। तब सांपों ने वचन दिया था कि नाग पंचमी के दिन जो भी व्यक्ति सांपों की पूजा करेगा, उसे सर्प दंश का भय नहीं होगा।
कहते हैं कि यज्ञ कुंड में गिरे नागों की जलन शांत करने के लिए आस्तिक मुनि ने दूध से उन्हें स्नान कराया था। तभी से नागों को दूध से स्नान कराने की परंपरा शुरू हुई। जो बाद में अंध विश्वास के चलते दूध पिलाने तक पहुंच गई, जबकि सांप कभी दूध नहीं पीते हैं।
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