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    Ganga Dussehra पर मां गंगा की कृपा पाने के लिए जरूर करें ये काम, नहीं सताएगा कोई दुख

    Updated: Thu, 22 May 2025 06:24 PM (IST)

    हिंदू पंचांग के अनुसार गंगा दशहरा का पर्व हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी पर मनाया जाता है। यह तिथि हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। माना जाता है कि इस दिन गंगा नदी में श्रद्धा की डुबकी लगाने से साधक को पाप नष्ट हो जाते हैं।

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    Ganga Dussehra 2025 गंगा दशहरा पर क्या करना चाहिए।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि पर मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं, इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करने और दान-पुण्य करने से साधक को बहुत ही अच्छे परिणाम मिलते हैं। ऐसे में आप इस दिन पर कुछ खास काम करके देवी-देवताओं की कृपा के पात्र बन सकते हैं। 

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    गंगा दशहरा का शुभ मुहूर्त

    इस साल गंगा दशहरा 5 जून को मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर कई तरह के शुभ योग बन रहे हैं, जिनका समय कुछ इस प्रकार रहने वाला है।

    हस्त नक्षत्र प्रारम्भ - जून 5 प्रातः 3 बजकर 35 मिनट से

    हस्त नक्षत्र समाप्त - जून 6 प्रातः 6 बजकर 34 मिनट से

    व्यतीपात योग प्रारम्भ - जून 5 सुबह 09 बजकर 14 मिनट से

    व्यतीपात योग समाप्त - जून 6 सुबह 10 बजकर 13 मिनट से

    जरूर लगाएं डुबकी

    हिंदू शास्त्रों में गंगा नदी को कलयुग का तीर्थ स्थल माना गया है। साथ ही गंगा मैय्या को पापमोचनी भी कहा जाता है। ऐसे में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए ज्येष्ठ माह में आने वाले गंगा दशहरा में गंगा नदी में स्नान जरूर करना चाहिए। लेकिन अगर आपके लिए ऐसा करना संभव नहीं है, तो आप घर पर ही पानी में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। 

    करें ये काम

    गंगा दशहरा के दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान करें या घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद मां गंगा और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करें। साथ ही इस दिन पर गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े आदि का दान भी करें। ऐसा करने से आपको गंगा मैय्या की कृपा प्राप्त हो सकती है।

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    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    करें इन मंत्रों का जप

    • ॐ नमो भगवती हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा॥
    • “गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानां शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति
    • गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं । त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां
    • गंगे! च यमुने! चैव गोदावरी! सरस्वति! नर्मदे! सिंधु! कावेरि! जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु
    • ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:।।
    • गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानाम् शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।