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    Ganga Dussehra 2025 Date: गंगा दशहरा पर इस शुभ मुहूर्त में करें स्नान और दान, कट जाएंगे सभी पाप, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

    Updated: Fri, 09 May 2025 01:38 PM (IST)

    गंगा दशहरा के पावन अवसर पर गंगा स्नान और दान का बड़ा महत्व है। हिंदू पंचांग को देखते हुए 05 जून को गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया जाएगा। इस दिन (Ganga Dussehra 2025 Date) मां गंगा की पूजा का विधान है। देवी की पूजा से सभी पापों का अंत होता है। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली आती है।

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    Ganga Dussehra 2025 Date: गंगा दशहरा शुभ मुहूर्त।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गंगा दशहरा का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस साल यह पावन तिथि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनाई जाएगी। इस दिन मां गंगा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने और दान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है, तो आइए इस दिन (Ganga Dussehra 2025 Date) से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।

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    गंगा दशहरा स्नान-दान शुभ मुहूर्त (Ganga Dussehra 2025 Snan-Daan Shubh Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा पर सिद्धि योग सुबह 9 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। इस दिन रवि योग और हस्त नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है। तैतिल करण दोपहर 1 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। इसके बाद गर करण योग देर रात 02 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप स्नान और दान कर सकते हैं।

    गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। अगर गंगा नदी तक जाना मुश्किल है, तो घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें। ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक स्नान करने से पापों का नाश होता है। इस दिन दान का भी विशेष महत्व है। ऐसे में अपनी श्रद्धा के अनुसार दान जरूर करें।

    गंगा दशहरा पर करें ये दान (Ganga Dussehra 2025 Daan List)

    • इस दिन नए वस्त्रों का दान करें।
    • इस दिन जरूरतमंदों को अनाज का दान करने से घर में बरकत आती है।
    • इस दिन जल से जुड़ी वस्तुओं का दान करना उत्तम माना जाता है।
    • इस मौके पर फल और मिठाई का दान भी परम कल्याणकारी माना जाता है।
    • इसके अलावा इस तिथि पर गुड़, चांदी आदि का दान करने से रिश्तों में मिठास आती है।

    पितरों के नाम से करें ये दान

    गंगा दशहरा के दिन पितरों के निमित्त दान करने का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किए गए दान से पितरों को तृप्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। पितरों के निमित्त वस्त्र, अन्न या अपनी श्रद्धा अनुसार कोई भी वस्तु दान की जा सकती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।