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    Ganesh Mantra: भगवान गणेश की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, किसी काम में नहीं आएगी बाधा

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 21 Jan 2025 04:41 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो माघ माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पर शिववास योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही स्वाति और कौलव योग का भी संयोग है। इन योग में देवों के देव महाेदव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली आएगी।

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    Ganesh Mantra: भगवान गणेश को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश की पूजा करने से सुखों में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साधक शुभ कामों में सफलता पाने के लिए बुधवार के दिन व्रत भी रखते हैं।

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    बुधवार के दिन जगत के पालनहार भगवान कृष्ण एवं राधा रानी की भी पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि राधा कृष्ण जी के शरण में रहने वाले साधकों को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी मनोवांछित फल पाना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

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    भगवान गणेश के मंत्र

    1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

    निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

    2. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

    द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

    विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

    द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

    विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

    3. ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

    4. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

    5. ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥

    6. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।

    7. वन्दे गजेन्द्रवदनं वामाङ्कारूढवल्लभाश्लिष्टम् ।

    कुङ्कुमरागशोणं कुवलयिनीजारकोरकापीडम् ॥

    विघ्नान्धकारमित्रं शङ्करपुत्रं सरोजदलनेत्रम् ।

    सिन्दूरारुणगात्रं सिन्धुरवक्त्रं नमाम्यहोरात्रम् ॥

    गलद्दानगण्डं मिलद्भृङ्गषण्डं,

    चलच्चारुशुण्डं जगत्त्राणशौण्डम् ।

    लसद्दन्तकाण्डं विपद्भङ्गचण्डं,

    शिवप्रेमपिण्डं भजे वक्रतुण्डम् ॥

    गणेश्वरमुपास्महे गजमुखं कृपासागरं,

    सुरासुरनमस्कृतं सुरवरं कुमाराग्रजम् ।

    सुपाशसृणिमोदकस्फुटितदन्तहस्तोज्ज्वलं,

    शिवोद्भवमभीष्टदं श्रितततेस्सुसिद्धिप्रदम् ॥

    विघ्नध्वान्तनिवारणैकतरणिर्विघ्नाटवीहव्यवाट्,

    विघ्नव्यालकुलप्रमत्तगरुडो विघ्नेभपञ्चाननः ।

    विघ्नोत्तुङ्गगिरिप्रभेदनपविर्विघ्नाब्धिकुंभोद्भवः,

    विघ्नाघौघघनप्रचण्डपवनो विघ्नेश्वरः पातु नः ॥

    भगवान गणेश की आरती

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।

    माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।

    लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।

    बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।

    कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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