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    Ganesh Mantra: भगवान गणेश की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, धन-धान्य से भर जाएगा घर

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 23 Apr 2024 08:07 PM (IST)

    भगवान गणेश के शरणागत रहने वाले साधकों के जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार के दुख क्लेश और आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। इसका आशय यह है कि भगवान गणेश की कृपा से साधकों को सभी प्रकार के कष्टों से मिलती है। साथ ही आय और सौभाग्य में समय के साथ वृद्धि होती है।

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    Ganesh Mantra: भगवान गणेश की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, धन-धान्य से भर जाएगा घर

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ganesh Mantra: बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास रखा जाता है। भगवान गणेश के शरणागत रहने वाले साधकों के जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार के दुख, क्लेश और आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। इसका आशय यह है कि भगवान गणेश की कृपा से साधकों को सभी प्रकार के कष्टों से मिलती है। साथ ही आय और सौभाग्य में समय के साथ वृद्धि होती है। इसके अलावा, कुंडली में बुध ग्रह भी मजबूत होता है। अगर आप भी भगवान गणेश को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन विधि-विधान से गजानन की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप अवश्य करें।

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    गणेश मंत्र

    ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

    निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

    ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥

    ऊँ गं गणपतये नमो नमः

    ॐ गं गणपतये नमः

    “ॐ वक्रतुंडाय हुम्‌”

    आर्थिक प्रगति हेतु मंत्र

    ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    शुभ लाभ गणेश मंत्र

    ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।

    सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र

    श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥

    मंगल विधान हेतु गणेश मंत्र

    गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

    द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

    विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

    द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

    विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

    रोजगार प्राप्ति हेतु मंत्र

    ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

    मोहन गणेश मंत्र

    ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

    कुबेर गणेश मंत्र

    ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।वक्रतुण्ड गणेश मंत्र ||

    ऋणहर्ता श्री गणपति मंत्र

    “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।”

    श्रीगणेशमन्त्रस्तोत्रम्

    शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।

    येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥

    चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।

    विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥

    तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।

    साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥

    चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।

    सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥

    अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।

    तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥

    इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।

    एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥

    तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।

    क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥

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    डिस्क्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।