Falgun Amavasya 2025: 27 या 28 फरवरी, कब है फाल्गुन अमावस्या, जानें सही डेट और शुभ मुहूर्त
हर महीने में अमावस्या (Falgun Amavasya 2025 Date) तिथि पड़ती है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और पितरों की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही पितरों को अर्घ्य भी दिया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि पितरों का तर्पण करने से जीवन के सभी तरह के पापों का नाश होता है और साधक को पितरों का आशीर्वाद मिलता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने के कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि पर अमावस्या मनाई जाती है। इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इन कामों को करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही पितरों को मोक्ष मिलता है। पितरों की कृपा से सुख और सौभाग्य वृद्धि होती है।
इस बार फाल्गुन अमावस्या की डेट को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी की बता रहे हैं, तो कुछ लोग इस पर्व को 28 फरवरी (Falgun Amavasya February 2025 Kab Hai) को मनाने की बात कह रहे हैं। ऐसे में लोग कन्फ्यूज हो रहे हैं कि आखिर फाल्गुन अमावस्या की सही डेट क्या है? आइए हम आपको बताएंगे इस पर्व की सही डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।
(Pic Credit-AI)
फाल्गुन अमावस्या 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Falgun Amavasya 2025 Date and Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन (Falgun Amavasya 2025 Date and time) अमावस्या तिथि की शुरुआत 27 फरवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर होगी। वहीं, अगले दिन यानी 28 फरवरी को सुबह 06 बजकर 14 मिनट पर फाल्गुन अमावस्या का समापन होगा। ऐसे में 27 फरवरी को फाल्गुन अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा।
शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 08 मिनट से 05 बजकर 58 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 1ृ5 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 17 मिनट से 06 बजकर 42 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक
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सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 48 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 20 मिनट पर
चन्द्रोदय- कोई नहीं।
चंद्रास्त- शाम 05 बजकर 20 मिनट पर
फाल्गुन अमावस्या के उपाय (Falgun Amavasya Upay)
यदि आप आप पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो इसके लिए फाल्गुन अमावस्या को शुभ माना जाता है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें। इसके बाद लोटे में जल और काले तिल ड़ालकर भगवान शिव को अर्पित करें। इस दौरान शिव जी के नाम का ध्यान करें। धार्मिक मान्यता है कि इस उपाय करने से साधक को शिव जी की कृपा प्राप्त होती है और पितृ दोष की समस्या से छुटकारा मिलता है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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