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    Dwijapriya Sankashti Chaturthi का शुभ मुहूर्त से लेकर भोग तक, एक क्लिक में पढ़ें सबकुछ

    हर महीने में 2 बार चतुर्थी तिथि का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के पुत्र गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही जीवन के विघ्न को दूर करने के लिए व्रत भी किया जाता है। मान्यता है कि द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025) पर भगवान गणेश की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 16 Feb 2025 08:50 AM (IST)
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    Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: कैसे करें भगवान गणेश की पूजा?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय चतुर्थी संकष्टी के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, द्विजप्रिय चतुर्थी संकष्टी व्रत आज यानी 16 फरवरी (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025 Date) को किया जा रहा है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने से कारोबार में सफलता प्राप्त होती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि द्विजप्रिय चतुर्थी संकष्टी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और भोग के बारे में।

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    द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025 Date and Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 15 फरवरी को रात को 11 बजकर 52 मिनट पर शुरुआत हो गई है और तिथि का समापन 17 फरवरी को रात 02 बजकर 15 मिनट पर होगा। ऐसे में आज यानी 16 फरवरी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जा रहा है।

    यह भी पढ़ें: Dwijapriya Sankashti Chaturthi पर गणेश जी को लगाएं इन चीजों का भोग, बिगड़े काम जल्द होंगे पूरे

    भगवान गणेश के प्रिय भोग (Lord Ganesh Favourite Bhog)

    द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा थाली में मोदक, लड्डू, कलाकंद, खीर और फल समेत आदि चीजों को शमिल किया जा सकता है। मान्यता है कि भगवान गणेश को इन चीजों का भोग लगाने से पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है। साथ ही भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।

    द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

    द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर विराजमान करें। अब उन्हें पुष्प और फल आदि चढ़ाएं। देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें। गणेश चालीसा का पाठ करें। व्रत कथा का पाठ करें। प्रिय चीजों का भोग लगाएं। शाम के समय चंद्रमा के दर्शन कर उन्हें अर्घ्य दें और अपने व्रत का पारण करें।

    भगवान गणेश के मंत्र

    1.'गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।

    नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।

    धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।

    गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।

    2.ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

    3.ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा।

    4.ॐ गं क्षिप्रप्रसादनाय नम।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।