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    Dwijapriya Sankashti Chaturthi पर ऋणमुक्ति स्तोत्र का करें पाठ, कर्ज की समस्या जल्द होगी दूर

    पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह (Falgun Month 2025) में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025) के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और कामों में आ रही बाधा से छुटकारा मिलता है। साथ ही रुका हुआ धन मिलता है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 11 Feb 2025 05:10 PM (IST)
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    Lord Ganesh: कैसे करें भगवान गणेश को प्रसन्न?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 16 फरवरी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाएगा। इस दिन विधिपूर्वक भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि चतुर्थी तिथि पर सच्चे मन से गणपति बप्पा की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है और रुके हुए काम जल्द पूरे होने के योग बनते हैं।

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    अगर आप भी धन से जुड़ी समस्या का सामना कर रहे हैं, तो द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन शुभ मुहूर्त में गणेश जी की पूजा करें। इसके बाद विधिपूर्ववक ऋणमुक्ति गणेश स्तोत्र का पाठ करें। इसका पाठ करने से कर्ज खत्म होता है और व्यक्ति का मन शांत होता है। साथ ही गणपति की कृपा बनी रहती है।

    ऋणमुक्ति श्रीगणेश स्तोत्र के पाठ से मिलते हैं ये लाभ

    धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन से ऋणमुक्ति श्रीगणेश स्तोत्र पाठ करने से सुख-समृद्धि वृद्धि होती है। सभी तरह के दुख एवं संकट से छुटकारा मिलता है। आर्थिक तंगी की समस्या दूर होती है। रुका हुआ धन मिलता है। इसके अलावा गणपति बप्पा प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से कारोबार में वृद्धि होती है।

    द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त

    वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 15 फरवरी को रात को 11 बजकर 52 मिनट पर होगी है। वहीं, तिथि का समापनअगले दिन यानी 17 फरवरी को रात 02 बजकर 15 मिनट पर होगा। इस प्रकार 16 फरवरी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाएगा।

    ॥ ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्रम् ॥

    ॐ स्मरामि देवदेवेशंवक्रतुण्डं महाबलम्।

    षडक्षरं कृपासिन्धुंनमामि ऋणमुक्तये॥

    महागणपतिं वन्देमहासेतुं महाबलम्।

    एकमेवाद्वितीयं तुनमामि ऋणमुक्तये॥

    एकाक्षरं त्वेकदन्तमेकंब्रह्म सनातनम्।

    महाविघ्नहरं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥

    शुक्लाम्बरं शुक्लवर्णंशुक्लगन्धानुलेपनम्।

    सर्वशुक्लमयं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥

    रक्ताम्बरं रक्तवर्णंरक्तगन्धानुलेपनम्।

    रक्तपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

    कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णंकृष्णगन्धानुलेपनम्।

    कृष्णयज्ञोपवीतं चनमामि ऋणमुक्तये॥

    पीताम्बरं पीतवर्णपीतगन्धानुलेपनम्।

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    पीतपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

    सर्वात्मकं सर्ववर्णंसर्वगन्धानुलेपनम्।

    सर्वपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

    एतद् ऋणहरं स्तोत्रंत्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।

    षण्मासाभ्यन्तरे तस्यऋणच्छेदो न संशयः॥

    सहस्रदशकं कृत्वाऋणमुक्तो धनी भवेत्॥

    गणेश मंत्र

    1. वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।

    निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

    2. वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।

    निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

    3. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।

    4. ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

    5. ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।