फरवरी में कब है विनायक और द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी? अभी नोट करें डेट और शुभ मुहूर्त
हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2025 Date) तिथि पर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही जीवन में सभी तरह के सुखों की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि गणपति बप्पा की उपासना करने से सभी संकट दूर होते हैं। साथ ही गणेश जी की कृपा से बिगड़े काम पूरे होते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जल्द ही फरवरी का महीना शुरू होने वाला है। धर्मिक दृष्टि से इस माह को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस माह में कई व्रत और पर्व मनाए जाते हैं। इनमें विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi February 2025) और द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी भी शामिल है। चतुर्थी तिथि पर महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही श्रद्धा अनुसार लोगों में गर्म कपड़े और धन का दान भी किया जाता है।
मान्यता है कि उपासना और दान करने से भक्त पर हमेशा गणपति बप्पा की कृपा बनी रहती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि फरवरी में मनाई जाने वाली विनायक चतुर्थी और द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।
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विनायक चतुर्थी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Vinayak Chaturthi 2025 Date and Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का प्रारंभ 01 फरवरी को सुबह 11 बजकर 38 मिनट पर हो रहा है। वहीं, तिथि का समापन अगले दिन यानी 02 फरवरी को सुबह 09 बजकर 14 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi Kab hai) का पर्व 01 फरवरी को मनाई जाएगी।
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द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Dwijapriya Sankashti Chaturthi Date and Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी की शुरुआत 15 फरवरी को रात को 11 बजकर 52 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 17 फरवरी को रात 02 बजकर 15 मिनट पर होगा। ऐसे में 16 फरवरी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी ( Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025) मनाई जाएगी।
ऐसे करें गणपति बप्पा की पूजा (Lord Ganesha Puja Vidhi)
चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठें और देवी-देवता के ध्यान से दिन की शुरुआत करें। इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र पहने। मंदिर की सफाई कर चौकी पर गणपति बप्पा की मूर्ति को विराजमान करें। इसके बाद पान, फूल, दूर्वा, सुपारी आदि चीजें प्रभु को चढ़ाएं। दीपक जलाकर आरती करें। इसके बाद गणेश जी को मोदक, फल और मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। साथ ही जीवन के संकट से छुटकारा पाने के लिए गणेश जी से प्रार्थना करें। आखिरी में लोगों के प्रसाद बाटें।
भगवान गणेश के मंत्र
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित् ।
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