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    फाल्गुन माह में कब है Dwijapriya Sankashti Chaturthi, अभी नोट करें शुभ मुहूर्त

    फाल्गुन माह का विशेष महत्व है। इस माह में होली समेत कई महत्वपूर्ण पर्व मनाए जाते हैं। इनमें द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का त्योहार भी शामिल है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025) के रूप में मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर गणेश जी की पूजा करने का विधान है। इस व्रत को करने से विघ्न दूर होते हैं।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Fri, 07 Feb 2025 02:47 PM (IST)
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    Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Pic credit- Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के त्योहार का खास महत्व है। पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाता है। इस शुभ तिथि पर महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा करने से काम में आ रही रुकावट से छुटकारा मिलता है। साथ ही घर में सुख-शांति का आगमन होता है। ऐसे में आइए जानते हैं द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025 Date) की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के विधि के बारे में।

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    द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025 Date and Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 15 फरवरी को रात को 11 बजकर 52 मिनट पर हो रहा है। वहीं, तिथि का समापन 17 फरवरी को रात 02 बजकर 15 मिनट पर होगा। इस प्रकार 16 फरवरी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाएगा।

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 16 मिनट से 06 बजकर 07 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 28 मिनट से 03 बजकर 12 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 10 मिनट से 05 बजकर 35 मिनट तक

    अमृत काल- रात 09 बजकर 48 मिनट से 11 बजकर 36 मिनट तक

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    द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Dwijapriya Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)

    • द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
    • मंदिर में चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश और शिव परिवार की प्रतिमा को विराजमान करें।
    • इसके बाद उन्हें मोदक, लड्डू, अक्षत और दूर्वा समेत आदि चीजें चढ़ाएं।
    • भगवान गणेश के माथे पर तिलक लगाएं
    • देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें। साथ ही भगवान गणेश की आरती करें।
    • सच्चे मन से व्रत कथा का पाठ करें।
    • अब प्रभु को मिठाई, मोदक और फल का भोग लगाएं।
    • जीवन खुशियों से भरा रहना के लिए प्रभु से कामना करें।
    • आखिरी में लोगों में प्रसाद बाटें।

    गणेश मंत्र (Ganesh Mantra)

    ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

    निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

    गणेश गायत्री मंत्र -

    ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि,

    तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

    ऋणहर्ता गणपति मंत्र -

    ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।