Durgashtami 2025 Yoga: मासिक दुर्गा अष्टमी पर शिववास समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, मिलेगा दोगुना फल
धार्मिक मत है कि अष्टमी तिथि पर जगत जननी मां दुर्गा (Masik Durgashtami 2025) की भक्ति भाव से पूजा करने पर साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में माता रानी की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। मां अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 7 मार्च को फाल्गुन माह की दुर्गा अष्टमी है। यह पर्व हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त मनोवांछित फल पाने के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होता है। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करते हैं।
ज्योतिषियों की मानें तो फाल्गुन माह की दुर्गा अष्टमी पर शिववास समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
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मासिक दुर्गाष्टमी शुभ मुहूर्त (Masik Durga Ashtami Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 06 मार्च को सुबह 10 बजकर 50 मिनट पर शुरू होकर 07 मार्च को सुबह 09 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। उदया तिथि गणना अनुसार 07 मार्च को दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी।
दुर्गा अष्टमी शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर प्रीति योग का संयोग है। प्रीति योग संध्याकाल 06 बजकर 15 मिनट तक है। इसके बाद आयुष्मान योग का संयोग बन रहा है। आयुष्मान योग 8 मार्च को शाम 04 बजकर 24 मिनट तक है। इन योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाएंगे।
शिववास योग
मासिक दुर्गा अष्टमी पर दुर्लभ शिववास योग का भी संयोग है। इस योग का संयोग सुबह 09 बजकर 18 मिनट से हो रहा है। इस दौरान भगवान शिव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ रहेंगे। इस दौरान शिव-शक्ति की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में मंगल का आगमन होगा।
नक्षत्र एवं करण
फाल्गुन माह की दुर्गा अष्टमी पर मृगशिरा नक्षत्र का संयोग है। इसके साथ ही बव, बालव एवं कौलव करण के योग हैं। इन योग में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा एवं भक्ति करने से साधक को जीवन में स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होगी। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाएंगे।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 40 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 25 मिनट पर
- चंद्रोदय- दोपहर 11 बजकर 45 मिनट पर
- चंद्रास्त- देर रात 02 बजकर 39 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 02 मिनट से 05 बजकर 51 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 17 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 22 मिनट से 06 बजकर 47 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त- रात 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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